इटावा-भिंड रेल सेवा के कार्य पूरे, उद्घाटन का इंतजार
इटावा, जागरण संवाददाता : इटावा-भिंड रेल सेवा के सभी कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं। बीते एक सप्ताह से जार
इटावा, जागरण संवाददाता : इटावा-भिंड रेल सेवा के सभी कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं। बीते एक सप्ताह से जारी इंटरलॉकिंग और सिंग्नल प्रणाली कार्य पूरा कर लिया गया है अब इसकी टेस्टिंग का कार्य किया जा रहा है। 24 नवंबर को रेलवे संरक्षा आयुक्त नवनिर्मित ट्रैक का निरीक्षण करेंगे। उनकी हरी झंडी मिलते ही 29 साल पूर्व देखा गया सपना हकीकत में परिवर्तित हो जायेगा।
इटावा-भिंड रेल सेवा का निर्माण कार्य तो बीते माह फरवरी में ही पूर्ण हो गया था। इसके पश्चात डीआरएम तथा महा प्रबंधक ने ट्रैक का निरीक्षण करके इसे ओके कर दिया था। अंतिम दौर में सिंग्नल प्रणाली का कार्य जोरों पर किया जा रहा है। रेलवे संरक्षा आयुक्त के निरीक्षण की तारीख सुनिश्चित होने पर बीते सप्ताह से मुख्य परियोजना प्रबंधक दिल्ली रेलवे के निर्देशन में कानपुर, झांसी तथा टूंडला मंडल के अफसर व कर्मी युद्धस्तर पर इटावा रेलवे स्टेशन तथा पश्चिमी और सेंट्रल केबिन के मध्य इंटरलाकिंग तथा सिंग्नल प्रणाली का कार्य जारी था।
मुख्य परियोजना प्रबंधक पुनीत चावला ने बताया कि इंटरलॉकिंग तथा सिग्नल प्रणाली के साथ दोनों केबिन की ओवरहालिंग का कार्य पूरा कर लिया गया है। अब इसकी टेस्टिंग कराई जा रही है। कुल मिलाकर सभी कार्य पूर्ण हो चुके हैं और सारा सिस्टम ओके है। इस मौके पर एडीआरएम दिनेश शुक्ला, एसडीओएम हिमांशु उपाध्याय, मुख्य अभियंता सिंग्नल अनिल कुमार मिश्र तथा स्टेशन अधीक्षक आरके त्रिपाठी उपस्थित थे।
90 किमी पास होगा ग्वालियर
इटावा-भिंड रेल सेवा शुरू होने रेलवे ट्रैक पर कानपुर से ग्वालियर 90 किमी पास हो जाएगा। अभी वाया झांसी जाना पड़ता है जिसकी दूरी करीब 350 किमी है बाया इटावा यह दूरी करीब 260 किमी होगी।
जनता के साथ रेलवे को लाभ
भिंड रेल सेवा शुरू होने पर इस क्षेत्र की जनता को तो भरपूर लाभ मिलेगा ही साथ ही रेलवे को खासा लाभ होगा। कई ट्रेनें आगरा होकर ग्वालियर पहुंचती तो कई झांसी की ओर से इस सेवा के माध्यम से सीधा संचालन होने पर रेलवे को समय और ईधन की खासी बचत होगी।
मरुधर-इंटरसिटी टकराती नहीं
एडीआरएम दिनेश शुक्ला ने बताया कि मरुधर और इंटरसिटी एक ही ट्रैक पर केबिन मैन की लापरवाही से आ गई थी, जिसे प्रारंभिक जांच में निलंबित कर दिया गया। दोनों ट्रेनें एक ट्रैक पर होने के बावजूद इंटरसिटी को चार सौ मीटर की दूरी पर रोक दिया गया था। इंटरलॉकिंग के चलते अफसर सब कुछ देख रहे थे, इससे ट्रेनों में टक्कर हो नहीं सकती थी। बताते चलें कि दो दिन पूर्व मरुधर व इंटरसिटी एक ही ट्रैक पर आ गईं थीं।