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सवा सौ साल में और जवान हो गया इटावा महोत्सव

ओम प्रकाश बाथम, इटावा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह जनपद में भले ही आज उनके गांव में होने वाला सै

By Edited By: Published: Sat, 22 Nov 2014 01:19 AM (IST)Updated: Sat, 22 Nov 2014 01:19 AM (IST)

ओम प्रकाश बाथम, इटावा

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मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह जनपद में भले ही आज उनके गांव में होने वाला सैफई महोत्सव अपनी देश में पहचान बनाए हुए है, लेकिन वास्तविकता में 23 नवंबर दिन रविवार से शुरू होने वाला इटावा महोत्सव जिले की सबसे बड़ी धरोहर है। लगभग सवा सौ साल से लोग हर साल इस महोत्सव का बेसब्री से इंतजार करते हैं। पिछले दो साल से महोत्सव में विज्ञान मेला व पुस्तक मेला शुरू हुआ है जो युवाओं में खासा लोकप्रिय है।

शहर में 1888 में महोत्सव का शुभारंभ हो गया था। लेकिन स्थायित्व वर्ष 1910 में तत्कालीन जिलाधिकारी एचके ग्रेसी के प्रयास से इसे स्थायित्व मिला। जिलाधिकारी के कहने पर ही लखना, प्रतापनेर, भरेह, मलाजनी, रूरू, मल्हौसी, हरचंद्रपुर आदि रियासतों के रईसों ने मालगुजारी में आठ आना प्रति सैकड़ा की राशि प्रदर्शनी के लिए संचित कर दी। शुरूआत हुई तो जिलाधिकारी की निगाह में अच्छा साबित करने के लिए कई रियासतों के दीवानों और रईसों ने बढ़चढ़कर निर्माण शुरू कराये। लाला माधवराव अग्रवाल का चौपड़ बाजार का प्रकाश स्तम्भ तथा हरचंद्रपुर की रानी राजेन्द्र कुमारी द्वारा निर्मित प्रदर्शनी क्षेत्र का कुंआ आज भी उनकी याद दिलाते हैं।

कवि सम्मेलन का इतिहास

हिंदी कविता का शायद ही कोई ऐसा हस्ताक्षर होगा जो इटावा में नहीं आया हो। अयोध्या सिंह उपाध्याय, दुलारे भार्गव, रामशंकर शुक्ल, रसाल, बालकुष्ण शर्मा, नरीन गयाप्रसाद, पं. श्री नारायण चतुर्वेदी, हरिवंश राय बच्चन, श्याम नारायण पांडेय, डा. रामधारी सिंह दिनकर, सोहन लाल द्विवेदी , डा. रामकुमार वर्मा, मन्नारायण अग्रवाल, भवानी प्रसाद मिश्र, रामेश्वर शुक्ल, अंचल, गोपालदास नीरज, कमलापति त्रिपाठी, काका हाथरसी ,महाकवि गंग, देव गंगहरि आदि इसके गवाह बन चुके हैं।

प्रमुख शायर और कव्वाल

मुशायरे भी यहां की सांस्कृतिक विरासत के अंग बने रहे। आनंद मोहन जोशी, गुलजार देहलवी, बाल मुकुंद फना निजामी,बशीर बद्र, बेकल उत्साही, जिगर मुरादाबादी, शंकर शंभू, शकीलाबानो भोपाली प्रमुख रही है।

दारा सिंह, रंधावा और मास्टर चंदगीराम ने दंगल जीते

प्रदर्शनी में दंगल का आयोजन भी प्रमुख रहा है। दारा सिंह, रन्धावा और मास्टर चंदगीराम, मोहादीन जैसे पहलवान आ चुके हैं। राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन, बाबू जगजीवन राम, ज्ञानी जैल सिंह, बी. गोपाल रेड्डी, तथा विचारक एम चेन्ना रेड्डी बलिराम भगत, प्रकाशवीर शास्त्री, जैसे विचारक एवं राजनेता पधार चुके हैं।


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