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उड़ गए प्रवासी पंछी, चंबल हुआ बेगाना

गौरव डुडेजा, इटावा चंबल सेंचुरी में लगातार बीते कई वर्षो से प्रवासी पक्षियों की संख्या घट रही है।

By Edited By: Published: Wed, 01 Oct 2014 01:46 AM (IST)Updated: Wed, 01 Oct 2014 01:46 AM (IST)
उड़ गए प्रवासी पंछी, चंबल हुआ बेगाना

गौरव डुडेजा, इटावा

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चंबल सेंचुरी में लगातार बीते कई वर्षो से प्रवासी पक्षियों की संख्या घट रही है। यह पक्षी साइबेरिया, रूस, कजाकिस्तान जैसे ठंडे इलाकों से यहां आते हैं। हर वर्ष यह पक्षी उन देशों में मौसम ठंडा होने पर यहां का रुख करते हैं। पर्यावरणविदें की मानें तो ठंडे इलाकों में बर्फ गिरने के साथ ही इन पक्षियों का यहां पर आना शुरू हो जाता है। सितंबर के अंत से लेकर मार्च तक यह पक्षी यहां पर प्रवास करते हैं, उसके बाद चले जाते हैं।

पिछले 10 वर्षो में इन पक्षियों के आगमन में कमी आई है। इसका प्रमुख कारण उनके आगमन के स्थानों पर शिकार, जलवायु परिवर्तन इत्यादि कारण हैं। हालांकि इनकी गणना के आंकड़े किसी के पास नहीं हैं लेकिन लोगों का मानना है कि बड़ी संख्या में बीते 10 साल पूर्व दिखने वाले पक्षी अब दिखाई नहीं देते हैं।

कहां बनाते हैं ठिकाना

प्रवासी पक्षी चंबल के पचनद, पथर्रा, महुआ सूड़ा, छिबरौली, पाली, कुंदौल, बरचौली, पिलुआ का नगला, कसौआ, खेड़ा, बरौली, बसवारा, पछायगांव व लखनपुरा के यमुना व चंबल के इलाकों को व बड़े तालाबों को अपना आशियाना बनाते हैं। यह पक्षी इन इलाकों को अपने रेस्ट रूम की तरह इस्तेमाल करते हैं। इनके आने का सिस्टम चुंबकीय क्षेत्र के आधार पर होता है। लगातार आने के कारण पुराने पक्षी नये पक्षियों को रास्ते का मार्गदर्शन करते हैं।

कौन से हैं पक्षी

पेलीकंस, रफ, सीगल, कामनक्रेन, डेमोसिल क्रेन, स्पूनविल, ग्रेलेंड, ग्रींस, वार हेडेड, लेजर विस्लिंग, टील, पिंटेल, स्पाकविल्डक, मलार्ड, कैडविल, सोवलर, कामडेक, हेरियार, सेंट पाइमर, टर्न पक्षी यहां पर अपना ठिकाना बनाते हैं। इनमें लगभग सभी प्रवासी चिडि़यां हैं। कुल मिलाकर करीब 68 प्रजाति इटावा जनपद के यमुना चंबल व बड़े तालाबों में अपना आशियाना बनाते थे लेकिन अब इनकी गिनी-चुनी प्रजातियां ही दिखती हैं।

संख्या गिरने के कारण

-प्राकृतिक वास का क्षरण

-जलवायु परिवर्तन का कारण

- शिकारियों की संख्या बढ़ना

- रास्ते के देशों अफगानिस्तान, कजाकिस्तान में शिकार होना।

प्रवासी पक्षियों की आमद को बढ़ाने के लिए जो वेटलैंड बचे हैं उन्हें खत्म न किया जाए। नदियों में शिकार पर प्रतिबंध लगाया जाये। प्राकृतिक वास को संरक्षित करने के साथ-साथ नदियों में गंदगी न की जाये, उन्हें साफ पानी उपलब्ध कराया जाये तभी प्रवासी पक्षियों की संख्या को बढ़ाया जा सकेगा।-राजीव चौहान महासचिव सोसाइटी फॉर कंजरवेशन आफ नेचर

प्रवासी पक्षियों की संख्या पर वन विभाग हर वर्ष नजर रखता है। उनकी संख्या को न घटने देने के लिए तमाम प्रयास किये जा रहे हैं। प्रवासी पक्षी चंबल सेंचुरी क्षेत्र की शान हैं।- गुरुमीत सिंह वार्डेन चंबल सेंचुरी


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