फाइलों में जमीन समतल
चकरनगर, संवाद सहयोगी : अति पिछडे़ ब्लाक चकरनगर की ऊबड़-खाबड़ जमीन को समतल करने के लिये करीब 20 वर्षों से किसी न किसी कार्य योजना के तहत हजारों करोड़ रुपया पानी की तरह बहाकर कार्य कराया जा रहा है। फाइलों में तो जमीन समतल है जबकि मौके पर जमीनी हकीकत देखी जाये तो ढाक के वही तीन पात नजर आते हैं। धन को काम में न लगाकर उसका बंदरबाट किया गया है और काम के नाम पर मात्र औपचारिकताएं ही पूरी की गयी हैं।
विकासखंड चकरनगर की जमीनी हकीकत देखी जाये तो वाकई यहा की जमीन पिछले 20 वर्षो जैसी आज भी दिखायी देती है। क्षेत्र में जो लगभग 20 प्रतिशत सुधार हुआ है वह सुधार भूमि संरक्षण या रामगंगा कमाण्ड विभाग के द्वारा नहीं बल्कि किसान के निजी धन से किया गया है। विभागों के अधिकारियों द्वारा किसान से किसी प्रकार की कोई पूछताछ नहीं की जाती है जिससे किसान को हकीकत की जानकारी हो सके। क्षेत्रीय किसानों रूप सिंह सहसों, श्रीकृष्ण, विजय सिंह, पृथ्वी राठौर तेलियन खोड़न व सन्तोष, राकेश, सुदर्शन, जगदीश ललूपुरा, हरेन्द्र सिंह, उपेन्द्र सिंह निवासी रामफल की गढि़या की मानें तो क्षेत्र में ऊबड़-खाबड़ जमीन को आज तक न तो समतल किया गया है और न ही नये सिरे से मेढ़बंदी की गयी है। बाबजूद इसके सिर्फ वही बाध घासफूस छीलकर साफ कर दिये जाते हैं जो वाकई सही सलामत बने हुये हैं। वहीं समतल खेतों की मेढ़ों पर ट्रैक्टर आदि उपकरणों से उतनी मिट्टी डाली जाती है, जिससे उसकी घासफूस ढक जाये। कहीं-कहीं पर तो एक तरफ मेढ़ साफ दिखायी देती है तो दूसरी तरफ उसमें झाड़ियां खड़ी दिखती हैं।
किसानों ने तो यहा तक बताया कि लगभग 60 प्रतिशत वही पुराने बाध व मेढ़ें दिखाकर उपरोक्त विभाग कई बार पेमेन्ट करा लेता है। इसी समस्या के चलते हर वर्ष भूमि सुधार के नाम पर करोड़ों रुपया पानी की तरह बेवजह ही बहाया जा रहा है फिर भी ऊबड़-खाबड़ जमीन आज भी जस की तस बनी हुयी है। किसानों ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से उक्त मामले में जाचकर दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की माग की है।
कुछ पिछले वर्ष का तो कुछ इस वर्ष का नाबार्ड व भूमि सेना योजना में काम कराया जा रहा है। मनरेगा के तहत काम के लिये धन उपलब्ध नहीं है।-सुरेश सिंह यादव, बीएसए भूमि संरक्षण विभाग इकाई सहसों