हम न हुए तो आंसुओं पर कौन लिखेगा
इकदिल, संवादसूत्र : नेहरु युवा मंडल इकदिल के तत्वावधान में सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन आदर्श प्राथमिक विद्यालय इकदिल में किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि नेम सिंह रमन ने की तथा संचालन सतीशचंद्र दीक्षित अनपढ़ ने किया।
शुभारंभ कवि गिरीश पांडेय ने सरस्वती वंदना पढ़कर किया। इस अवसर पर नेहरु युवा मंडल इकदिल के अध्यक्ष डा. सुशील सम्राट व संयोजक देवेन्द्र गुप्ता ने स्वागत किया। कवि नेमसिंह रमन ने कहा, हम रहम छोड़कर बेरहम हो गये उसके रहमो करम उतने कम हो गए, थी मोहब्बत ओ खिदमत तो थी हर खुशी अब जिधर देखिये गम ही गम हो गए। कवि प्रेमबाबू यादव प्रेम ने अपनी रचना सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। भरथना के अनिल दीक्षित ने अपनी रचना में पढ़ा, भगवान मुझे लंबी उम्र देना इसलिए हम न हुए तो आसुओं पर कौन लिखेगा। इसी क्रम में दीपकराज ने कहा, एक नारी सब पर भारी फिर भी दुर्गति की मारी और त्यागो मोह श्रृंगार रसों का वीर रसों का पान करो तुम। कुलदीप दुबे ने अपनी रचना काश मै कुत्ता होता सुनाकर वाहवाही लूटी। मु. हारून वाहिद ने रचना पढ़ी, काश अपना भी एक मुका होता फिर खुला चाहे आसमा होता। महेंद्र सिंह परवाना ने कहा, खैरात बाटा करते थे कभी वक्त तो देखिये दौर तो देखिये आज परवाना खुद ही सवाली हुए।
बालकवि दीपक तिवारी ने जोश भरते हुए कहा- दुश्मन सैनिकों के सिर काटने लगा है कि बंद म्यान के कृपाण खोलते क्यों नहीं, कि राणा, शिवा, शेखर, सुभाष का है शौर्य भरा फिर अपना बल तौलते हो क्यों नहीं। कु. महिवाल कुंअर प्राजल ने अपनी रचना पढ़ी, अश्कों से तेरी यादों के गीत लिखा करती हूं पुनीत पावन पर्व में नीत लिखा करती हूं। मुगलपुर नरैनी से आये रामदत्त चौधरी ने दही-बड़े पर रचना सुनाकर लोटपोट कर दिया। मनोज कुमार तिवारी, अवधेश चतुर्वेदी, विजय शकर चौधरी, राजकिशोर शुक्ला, अनुराग राजपूत, शिवम सैनी, रजत वर्मा, शिवेंद्र मिश्रा, कुलदीप तिवारी, आशीष मिश्रा, सलिल तिवारी, अंकित राजपूत आदि उपस्थित थे।