फोर्स की कमी से खतरे में ट्रेनों की सुरक्षा
इटावा, जागरण संवाददाता : दिल्ली-हावड़ा रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों में सफर करने पर यात्रियों के जेहन डर भरा रहता है। बीते एक साल में कानपुर-टूंडला के मध्य करीब एक दर्जन लूट-डकैती की वारदातें होने के बावजूद सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं। जीआरपी में पुलिस कर्मियों का अभाव होने से सुरक्षा व्यवस्था खासी प्रभावित है। आरपीएफ और जीआरपी में परस्पर सहयोग और टीम भावना के अभाव में यात्रियों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा है।
ट्रेनों में यात्रियों को सुरक्षा का अहसास कराने के लिए एस्कॉर्ट रहता है। आम यात्रियों की किस तरह सुरक्षा करता है, इसकी हकीकत संगम एक्सप्रेस की भयावह डकैती की घटना से सामने आ गई। एस्कॉर्ट टॉयलेट में छिप गया था। इस घटना से साफ हो गया कि एस्कॉर्ट सिर्फ वसूली तक ही सीमित रहता है। एस्कॉर्ट की इस कायरता से यात्रियों के जेहन में भय समाया हुआ है।
100 किमी में एक थाना
ट्रेनों और यात्रियों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। सुरक्षा व्यवस्था पुराने ढर्रे पर ही कायम है, बल्कि फोर्स का अभाव ही नजर आता है। फिरोजाबाद के बाद इटावा और इटावा के बाद कानपुर में जीआरपी थाना है। जसवंतनगर, भरथना और फफूंद में चौकी हैं। सबसे ज्यादा फंफूद से भरथना के मध्य चौकसी की जरूरत है, यह दोनों चौकियां थानों में परिवर्तित की जाएं तो अपराधियों पर अंकुश लग सकता है। इटावा जीआरपी में पांच स्वीकृत पदों में से केवल एक दरोगा तैनात है।
खुलासा के बाद ढिलाई
संगम एक्सप्रेस डकैती का खुलासा न होने पर जीआरपी ने ट्रेनों में सजगता बरती, सात दिन बाद खुलासा होते ही फिर वही हाल हो गया। नियमित चेकिंग की सिर्फ खानापूरी हो रही है।
चेकिंग में कोताही नहीं
ट्रेनों की नियमित सजगता से चेकिंग करने के निर्देश दिए गए हैं, इसमें कोताही नहीं बरती जा रही है। यात्रियों की और अधिक सुरक्षा के लिए रेलवे को सुझाव प्रेषित किए गए हैं। सव इंस्पेक्टरों का अभाव है।-बजीह अहमद
एसपी रेलवे आगरा