आस्था ने मैली की गंगा मइया की गोद
जागरण संवाददाता, सोरों (कासगंज): महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के जलाभिषेक को कांवड़ लेने गंगा घाट पर करी
जागरण संवाददाता, सोरों (कासगंज): महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के जलाभिषेक को कांवड़ लेने गंगा घाट पर करीब एक लाख श्रृद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। पूरी आस्था के साथ भक्तों ने पतित पावनी में डुबकी लगाकर आचमन किया। फिर श्रृद्धा भाव के साथ मइया का आशीर्वाद गंगाजल लेकर अपनी मंजिल की तरफ लौट गए। साथ ही गंगा के लहरा किनारे पर छोड़ गए कचरे के ऐसे ढेर, जो यहां आने वाले दूसरे भक्तों के हृदय को लंबे समय तक वेदना देंगे।
जल स्तर में गिरावट के कारण इस दफा गंगा अपने लहरा घाट से करीब तीन किलोमीटर दूर खिसकर कटरी के छामनी इलाके में पहुंच चुकी है। प्रशासन द्वारा कई दफा पत्र लिखे जाने के बाद भी नरौरा से इस बार समय से गंगाजल नहीं छोड़ा गया। लिहाजा तीन किमी दूर खिसकने पर भी गंगा में डुबकी लगाने लायक पानी मुहैया न हुआ। जबकि कांवड़ लेने के लिए दूर दराज के श्रृद्धालुओं का सैलाब हर साल की तरह 15 फरवरी से उमड़ने लगा था। पड़ोसी राज्यों के सीमावर्ती जिलों से आए इन भक्तों ने 17 फरवरी से वापसी की राह पकड़ ली। इसके बाद आगरा और अलीगढ़ मंडल के श्रृद्धालुओं का जमावड़ा शुरू हुआ लेकिन फिर भी नगर पालिका और प्रशासनिक अमले ने गंगा किनारे पर सफाई आदि के इंतजाम नहीं किए। लिहाजा गंगा स्नान के बाद कांवड़ लेकर भक्तों के जत्थे लौटते रहे और लहरा किनारे पर कचरे के ढेर बढ़ते गए। किसी ने अपनी पुरानी कांवड़ गंगा मइया को समर्पित किया तो घर की पुरानी देवी-देवताओं की मूर्तियों को यहां विसर्जित कर गया। भक्तों के सैलाब की यह श्रृद्धा इतने तक ही सीमित न रही, बल्कि
चलते चलते पूजन सामग्री की पॉलीथिन तक गंगा में बहा गए। लिहाजा अब छामनी इलाके में बह रही गंगा का एक किलोमीटर तक का पूरा किनारा प्रदूषण की जबर्दस्त चपेट में है। हालात यह हैं कि नदी के बीच में भी जगह जगह कूड़े के ढेर टापू में तब्दील हो गए हैं। शुक्रवार को महाशिव रात्रि पर्व बीतने के बाद शनिवार को भी गंगा मइया की गोद में गंदगी के यह घाव साफ नजर आए।
जल स्तर कम होने के कारण यह कचरा बहाव के साथ आगे नहीं बढ़ पा रहा है। ऐसे में इसकी सफाई के लिए गंगा में जल स्तर बढऩे और पानी का प्रवाह तेज होने का इंतजार करना पड़ेगा। हालांकि प्रशासन का दावा है कि बुलंदशहर से पानी छोड़ दिया गया है और जल्द ही जल स्तर में सुधार आएगा। जबकि नगर पालिका ने मेले के दौरान पेयजल और प्रकाश व्यवस्था तो कराई लेकिन गंगा सफाई की सुध नहीं ली। जबकि मेले से पालिका को लाखों रुपये की आय होती है। ऐसे ही प्रशासन ने शांति व्यवस्था को ही प्राथमिकता पर रखा। उसने भी मेले के दौरान और उसके बाद सफाई व्यवस्था के लिए नगर पालिका पर लगाम कसना भूल गया। इस संबंध में नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी शमशेर ¨सह का कहना है कि विशेष अभियान चलाकर पूरी सफाई करा दी जाएगी।
मायूस होकर लौटे श्रृद्धालु
जल स्तर में कमी तथा गंदगी के कारण सैकड़ों श्रृद्धालुओं को गंगा में डुबकी लगाए बगैर ही मायूस होकर ही लौटना पड़ा। हालात यह थे कि स्नान तो दूर हाथ-मुंह धोने तक के लिए भक्तों को नदी में साफ सुथरा जल मुहैया न हो सका।
प्रबुद्धजनों का दर्द
फोटो-जनता में जागरुकता का अभाव है तो जिम्मेदार अधिकारी और विभाग भी गंभीर नहीं हैं। अगर मेले के दौरान गंगा किनारे जागरुकता के कुछ बोर्ड लगवाए जाते। साथ ही जगह जगह कूड़ेदान रखवाए जाते तो निश्चित ही काफी हद तक गंगा प्रदूषित होने से बचाई जा सकती थी। कम से कम मेले के बाद तो यहां विधिवत सफाई अभियान चलाना चाहिए।
डॉ. राधाकृष्ण दीक्षित, साहित्यकार एवं प्रवक्ता के कॉलेज सोरो।
प्रशासन की सुनिए-फोटो-कांवड़ मेले के दौरान सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी नगर पालिका सोरो पर थी। मेले के दौरान गंगा के लहरा घाट पर गंदगी हुई है तो उसे
अभियान चलाकर साफ कराया जाएगा। किसी भी हालत में गंगा प्रदूषित नहीं रहने दी जाएगी।
के विजयेंद्र पांडियान, जिलाधिकारी कासगंज।