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शहीद के भाई की पीएम मोदी से नक्सलियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की मांग

एटा के थाना जैथरा के डांडी गांव के रहने वाले हेड कॉस्टेबिल किशनपाल सिंह के भाई सतेंद्र सिंह अपनी भावनाएं रोकने के प्रयास में थे, लेकिन नहीं रोक सके।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 25 Apr 2017 03:25 PM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2017 04:44 PM (IST)
शहीद के भाई की पीएम मोदी से नक्सलियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की मांग

एटा(जेएनएन)। छतीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों के हमले में शहीद के भाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नक्सलियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की मांग की है। एटा के थाना जैथरा के डांडी गांव के हेड कॉस्टेबिल किशनपाल सिंह के भाई सतेंद्र सिंह अपनी भावनाएं रोकने के प्रयास में थे, लेकिन नहीं रोक सके।

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सतंद्र सिह ने कहा कि मोदीजी मेरा भाई तो शहीद हो गया, लेकिन नक्सलियों पर कब होगी कठोर कार्रवाई। उन्होंने कहा कि मुझे दुख तो है लेकिन गर्व भी है कि मेरा भाई देश के लिए शहीद हो गया। इसके बाद भी मैं प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से पूछना चाहता हूं कि नक्सली हमलों में की कब तक मां की कोख सुनी होती रहेगी। इन सभी नक्सलियों के खिलाफ कब होगी कठोर कार्रवाई। 

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छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के बुरकापाल क्षेत्र में नक्सलियों ने घात लगाकर हमले किया, जिसमें सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए थे। उनमें एटा के किशनपाल सिंह भी हैं। एटा के थाना जैथरा के डांडी गांव के हेड कॉस्टेबिल किशनपाल सिंह सुकमा नक्सली हमले में शहीद हो गए। उनके शहादत की खबर जब परिवारीजन को मिली तो घर में कोहराम मच गया।

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गांव में लोगों की आंखें नम जरुर हैं, लेकिन देश के लिए शहीद हुए किशनपाल सिंह की शहादत को सभी सलाम कर रहे हैं। शहीद किशनपाल पांच भाईयों में दूसरे नंबर के थे और करीब ढाई वर्ष पूर्व उनकी तैनाती छत्तीसगढ़ में हुई थी। देर रात उनके नक्सली हमले में शहीद होने की सूचना परिवार के लोगों को मिली तो पूरा गांव का माहौल गमगीन हो गया। आज सिर्फ शहीद किशनपाल की यादें रह गईं हैं. उनके गांव आने पर लोगों से उनका मेल-भाव और खासकर युवाओं को मेहनत और ईमानदारी से आगे बढऩे की प्रेरणा देना आज भी उन्हें याद है।

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मेरे पापा कब आएंगे

किशनपाल ने जल्द ही घर आने की बात कही थी, लेकिन उनके पहुंचने से पहले उनके मौत की खबर पहुंची। शहीद के एक बेटा और बेटी है जिनका रो-रोकर बुरा हाल है। बेटी तो रो-रोकर बेहोश हो जा रही है। बस यही पूछ रही है कि मेरे पापा कब आएंगे। बूढ़े पिता के भी आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे. इस उम्र में बेटे की अर्थी को कंधा कैसे देंगे। घर में एक ही कमाने वाला था वह भी चला गया, लेकिन बेटे पर गर्व बहुत है।

भाई सतेन्द्र सिंह ने भावनाओं को रोकने की कोशिश की लेकिन फिर भी दर्द छलक ही गया. सतेन्द्र ने कहा कि मुझे अपने भाई पर गर्व है। पूरे गांव को गर्व है। कुछ दिन पहले ही बात हुई थी, बोला था कि जल्द ही आऊंगा।


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