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विकास कार्यो को नहीं लेनी होगी मंजूरी

By Edited By: Published: Sun, 05 Aug 2012 08:18 PM (IST)Updated: Sun, 05 Aug 2012 08:18 PM (IST)

निज प्रतिनिधि, एटा: नगर निकायों के गठन के बाद सरकारी फरमान ने पालिकाध्यक्षों को नगरीय क्षेत्रों के विकास के लिए स्वतंत्र कर दिया है। विकास संबंधी कार्यों के लिए डीएम या कमिश्नर का अनुमोदन लिए जाने की बाध्यता अब समाप्त कर दी गई है। इसके चलते नगरीय क्षेत्रों की अनगिनत समस्याओं में उलझी जनता जहां सरकार के इस कदम को बेहतर मान रही है, वहीं राहत भी महसूस कर रही है। बसपा शासनकाल में नगरीय निकायों की बोर्ड बैठकों में पारित होने वाले विकास संबंधी प्रस्तावों में जो डीएम और कमिश्नर के अनुमोदन की बाध्यताएं थीं, उनके समाप्त होने से नए निकाय अध्यक्षों को आवश्यकता के मुताबिक काम करने में सहजता होगी।

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दरअसल शासन ने नगर निकाय के अध्यक्षों के वित्तीय अधिकार फिर बहाल कर दिए हैं। नए शासनादेश के मुताबिक अब नगरपालिका अध्यक्षों को विकास कार्य कराने के लिए कमिश्नर या डीएम से अनुमोदन कराने की बाध्यता नहीं रहेगी। बोर्ड की बैठक में वह सीधे प्रस्ताव पास कराकर विकास कार्य कराने में सक्षम होंगे। सपा सरकार ने पिछली बसपा सरकार के उस शासनादेश को निरस्त करते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल की है, जिसमें निकाय प्रमुखों के वित्तीय अधिकार डीएम और कमिश्नर के हवाले कर दिए गए थे। इस तब्दीली का पालिकाध्यक्षों ने जोरदार स्वागत किया है। एटा नगर पालिका अध्यक्ष राकेश गांधी का कहना है कि मायावती सरकार के समय में लागू शासनादेश ने निकाय अध्यक्षों को पूरी तरह पंगु बना दिया था। अध्यक्ष अपने स्तर से कोई निर्णय ले पाने में अक्षम थे। उन्हें किसी भी तरह के विकास कार्य की मंजूरी के लिए डीएम कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते थे। अफसरशाही में विकास कार्यो की फाइल उलझ कर रह जाती थी। अब अध्यक्ष अपने और बोर्ड के सदस्यों के सहयोग से विकास के नए प्रोजेक्टों को मंजूर करने में सक्षम हो जाएंगे।

समय की बचत से होंगे शीघ्र कार्य

नगर पंचायत अवागढ़ के चेयरमैन महेशपाल सिंह का कहना है कि अवस्थापना निधि, 13 वें वित्त आयोग के पैसे से कराए जाने वाले काम या अन्य बड़ी निविदा के लिए डीएम या कमिश्नर की अनुमति लेनी पड़ती थी। अब शासन ने डीएम व कमिश्नर की अनुमति की अनिवार्यता हटा दी है। अधिकारी अनुमति पहले भी दे देते थे, लेकिन अब इससे समय की बचत होगी। कभी- कभी फाइल पर हस्ताक्षर कराने में काफी समय लग जाता था।

राजनीतिज्ञ कहिन

सपा जिलाध्यक्ष एमएलसी रमेश यादव ने इसे अखिलेश सरकार का अच्छा निर्णय बताया है। इससे विकास कार्यो में अडंगेबाजी के बगैर कार्य कराने में मदद मिलेंगी।

भाजपा जिला संयोजक पंकज गुप्ता भी इस आदेश को अच्छा मानते है। वहीं वह निकाय प्रमुखों को और अधिक अधिकार देने की वकालत करते हैं। कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रमोद गुप्ता ने पालिकाध्यक्षों के वित्तीय अधिकार बहाल करने के साथ- साथ इनकी समीक्षा के अधिकार प्रशासनिक अधिकारियों को दिए जाने की भी सराहना की है।

ईओ का कहना

नगर पालिका एटा के अधिशासी अधिकारी डी.के. श्रीवास्तव कहते हैं कि अब 50 हजार से कम के विकास कार्यो के लिए पालिकाध्यक्ष सीधे मंजूरी दे सकेंगे और एक लाख तक के प्रस्तावों पर मंजूरी के लिए बोर्ड की बैठक बुलानी होगी।

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