सपा के लिए अहम 3 और 5 नवंबर
जागरण संवाददाता, एटा: सपा के कुनबे में मचे घमासान के बीच अगले माह नवंबर का पहला सप्ताह सपाइयों के लि
जागरण संवाददाता, एटा: सपा के कुनबे में मचे घमासान के बीच अगले माह नवंबर का पहला सप्ताह सपाइयों के लिए अहम है। 3 और 5 नवंबर को सपा के दो बड़े कार्यक्रम प्रस्तावित हैं। इनमें एक पार्टी के 25 वर्ष पूरे होने पर रजत जयंती कार्यक्रम है और दूसरा सीएम अखिलेश यादव की रथयात्रा है। यह कार्यक्रम कलह और सुलह की गहराई नापने वाले बैरोमीटर बनेंगे।
लखनऊ में सपा के शीर्ष नेतृत्व में छिड़ी जंग से एक बार के लिए यह आसार नजर आने लगे थे कि रजत जयंती से पहले ही सपा औपचारिक रुप से दो फाड़ हो सकती है, लखनऊ में सुबह से चलीं सुलह की कोशिशों ने स्थानीय सपाइयों के मन में सुलह की उम्मीदें जगा दीं। सुबह से ही पार्टी कार्यकर्ता टीवी से चिपके रहे। सपा के आम कार्यकर्ता पार्टी में क्या अपडेट है, इस बारे में जानना चाहते थे, लेकिन लखनऊ डटे स्थानीय नेता कार्यकर्ताओं के फोन भी नहीं उठा रहे थे। इस बीच अफवाहें उड़ती रहीं। जितने मुंह उतनी बातें दिनभर चलती रहीं। सपा के युवा नेता अनिल चौधरी ने कहा कि सपा में अब जनमत संग्रह होना चाहिए कि पार्टी की कमान बूढ़े शेरों के हाथ में रहनी चाहिए या फिर युवा के हाथों में। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने युवाओं को तरजीह दी है। बेरोजगारी भत्ता और लैपटॉप वितरण, कन्या विद्या धन आदि योजनाएं भी अखिलेश को युवा सपाइयों के मिल रहे समर्थन का कारण हैं।
पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता सीधे तो कुछ भी कहने से बच रहे हैं मगर यह मान रहे हैं कि समाजवादी कुनबे में चल रही यह जंग आने वाले चुनावों में भारी पड़ सकती है। विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और काफी हद तक यह भी साफ हो चुका है कि कौन सी सीट से कौन चुनाव लड़ेगा। वर्तमान में एटा जिले की चारों विधानसभा सीटों पर सपा का कब्जा है। सपा के लिए एटा कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इससे लग सकता है कि सपा सुप्रीमो मुलायम ¨सह यादव के अलावा शिवपाल यादव का भी एटा से गहरा राजनीतिक लगाव रहा है। मुलायम ¨सह यादव तो एटा जिले की निधौली कलां (तत्कालीन) वर्तमान में मारहरा सीट से चुनाव भी लड़ चुके हैं।