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बरसात में और जर्जर हुए सरकारी भवन

तस्वीर 1: जेल रोड पर बने पुलिस क्लब भवन की छत कई जगह से चटक गई है। बरसात में पानी रिसता है। दीवार

By Edited By: Published: Fri, 01 Jul 2016 10:21 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2016 10:21 PM (IST)

तस्वीर 1: जेल रोड पर बने पुलिस क्लब भवन की छत कई जगह से चटक गई है। बरसात में पानी रिसता है। दीवारों में दरारें हो गई हैं। अक्सर छत और दीवारों से प्लास्टर टूटकर गिरता है, जिससे पुलिसकर्मी हरदम जोखिम में रहते हैं।

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तस्वीर 2: अरुणा नगर स्थित एआर को-ऑपरेटिव कार्यालय की छत से बरसात में पानी टपकता है। दीवारें भी कमजोर हैं। जल निकासी की व्यवस्था न होने से पानी पूरे परिसर में भर जाता है।

तस्वीर 3: कलक्ट्रेट के पीछे कर्मचारियों के लिए और बांग्लादेश कॉलोनी में पुलिस कर्मियों के आवासीय भवनों की हालत दयनीय है। छतों से पानी टपकता है और प्लास्टर झड़ता रहता है। कई बार हादसे होते-होते बचे हैं।

जागरण संवाददाता, एटा: कलक्ट्रेट परिसर स्थित खाद्य सुरक्षा विभाग कार्यालय की छत का एक बड़ा हिस्सा 17 मई को टूटकर गिर गया था, जिससे कर्मचारी सहम गए। जैसे-तैसे काम चलता रहा। पांच जून को फिर एक और टुकड़ा गिर गया। गनीमत यह रही कि किसी को चोट नहीं आई। अनुरोध पर उन्हें दूसरा कार्यालय आवंटित कर दिया गया, लेकिन यह कहानी किसी एक कार्यालय या भवन की नहीं, बल्कि तमाम सरकारी इमारतें की है, जो इसी दुर्दशा को झेल रहीं हैं। कहीं छतों से पानी टपकता है, तो कहीं दीवारों और छतों से प्लास्टर टूटकर गिरता है।

मानसून के आते ही सरकारी कार्यालयों और भवनों में काम करने व रहने वाले लोग सहमे जाते हैं। लोगों को डर रहता है कि बरसात में कहीं ये भवन ढह न जाएं।

इन भवनों की हालत खस्ता

जिला मुख्यालय पर कलक्ट्रेट परिसर में चकबंदी दफ्तर, अरुणा नगर स्थित एआर को-ऑपरेटिव कार्यालय, जीटी रोड स्थित भूमि संरक्षण कार्यालय, जेल रोड स्थित पुलिस क्लब, कटरा मुहल्ला स्थित कृषि उपनिदेशक कार्यालय, कलक्ट्रेट के पीछे कर्मचारियों के आवास और बांग्लादेश कॉलोनी में पुलिसकर्मियों के आवास आदि भवनों की हालत खस्ता है। वहीं, तहसील और ब्लॉक स्थित कई कार्यालयों की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है। सामान्य तौर पर तो इनमें अधिकारी, कर्मचारी बेझिझक कार्य करते हैं, लेकिन बरसात आते ही ¨चताओं में घिर जाते हैं। छतों से टपकता पानी और टूटता प्लास्टर उन्हें डराता रहता है। मरम्मत को लेकर अधिकांश संबंधित विभागीय अधिकारियों का कहना है कि मरम्मत के नाम पर इतना बजट दिया जाता है कि छोटा-मोटा काम ही कराया जा सके, जबकि जर्जर हो चुके कार्यालयों को बड़े स्तर पर मरम्मत की जरूरत है।

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'विभागीय अधिकारियों से कहा गया है कि मरम्मत को मिलने वाले बजट का सदुपयोग करते हुए कार्यालयों आदि की स्थिति सही कराएं। यदि कहीं मरम्मत लायक स्थिति नहीं है, तो उसके लिए कुछ और विचार किया जाएगा।'

सतीश पाल, एडीएम प्रशासन


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