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सरकारी कंबल नहीं दे रहे राहत

जागरण संवाददाता, एटा: बढ़ रही सर्दी के बीच अस्पतालों के सरकारी कंबल मरीजों को राहत पहुंचाने में नाका

By Edited By: Published: Thu, 27 Nov 2014 06:10 PM (IST)Updated: Thu, 27 Nov 2014 06:10 PM (IST)

जागरण संवाददाता, एटा: बढ़ रही सर्दी के बीच अस्पतालों के सरकारी कंबल मरीजों को राहत पहुंचाने में नाकाफी साबित हो रहे हैं। व्यवस्थाओं से नाखुश लोग अपने रजाई-कंबल लेकर पहुंचने को मजबूर हैं।

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कहने को तो सरकारी अस्पतालों में मरीजों को सर्दी से बचाने के लिए इंतजाम किए गए हैं। भर्ती मरीजों को एक कंबल मुहैया कराया जाता है। लेकिन लगातार बढ़ रही सर्दी में यह कंबल बेअसर साबित हो रहा है। खासतौर से रात और सुबह के समय इन दिनों खासी ठंड हो रही है। ऐसे में एक कंबल के सहारे साधारण लोगों की रात कटना मुश्किल है। जबकि बीमारी की स्थिति में तो रोगियों को ठंड और अधिक महसूस होती है। लेकिन सरकारी व्यवस्थाएं कुछ ऐसी हैं कि उपलब्ध कंबल से अलग कोई इंतजाम नहीं हो सकता। ऐसे में मरीज स्वयं अपने बिस्तर लेकर पहुंचना मुनासिब समझते हैं। गुरुवार को महिला अस्पताल में भर्ती आधे से ज्यादा प्रसूताएं घरों की रजाई-कंबल में नजर आई। पूछे जाने पर प्रसूताओं के परिजन सुनीता, बिट्टो देवी, लौंगश्री आदि ने बताया कि इस सर्दी में कंबल से कोई राहत नहीं मिल रही है इसलिए घर से रजाई मंगवाई गई। उनका कहना था कि कंबल भी इतना अच्छा नहीं है कि उससे सर्दी बच सके। जिला अस्पताल के वार्डो में भी कुछ रोगी अपने बिस्तरों में नजर आए। उनके परिजनों ने भी सरकारी इंतजाम पर असंतोष जताया।

सफाई भी वजह

कई लोग सफाई की कमी के चलते मिलने वाले कंबलों को इस्तेमाल नहीं करना चाहते। उनका कहना है कि जो कंबल दिए जाते हैं वे साफ नहीं होते। संक्रमण के खतरे के चलते उनके प्रयोग से बचना ही बेहतर समझते हैं।

रैन बसेरा का नहीं इंतजाम

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मरीजों के साथ तीमारदारों को भी अस्पताल में रुकना पड़ता है। दिन तो घूमते-फिरते कट जाता है। लेकिन रात में समस्या खड़ी हो जाती है। जिला अस्पताल का रैन बसेरा बंद पड़ा है। जबकि महिला अस्पताल में इसकी स्थापना तक नहीं हुई है। ऐसे में तीमारदार कभी मरीजों के बैड पर तो कभी जमीन पर ही लेटकर रात काटते हैं।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरएस शुक्ला और महिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. ब्रजेश राठौर ने बताया कि नियमानुसार मरीजों को कंबल उपलब्ध कराए जाते हैं। साफ-सफाई का भी इंतजाम किया जाता है। जरूरत के मुताबिक कोई अपने बिस्तर लाता है तो उस पर कोई रोक नहीं है।


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