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बहनों ने खींची भाई के माथे पर दीर्घायु की लकीर

जागरण संवाददाता, एटा/कासगंज: महंगाई का बाजार फिर भी भारी पड़ा बहनों का भाइयों के प्रति प्यार। शनिवार

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 08:12 PM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 08:12 PM (IST)
बहनों ने खींची भाई के माथे पर दीर्घायु की लकीर

जागरण संवाददाता, एटा/कासगंज: महंगाई का बाजार फिर भी भारी पड़ा बहनों का भाइयों के प्रति प्यार। शनिवार को दीपोत्सव के अंतर्गत चलने वाले पांच दिन के त्योहारों के अंतर्गत अंतिम पर्व भैया दौज का त्योहार अत्यंत उत्साह के साथ एटा, कासगंज क्षेत्रों में मनाया गया। इस दिन भाइयों के माथे पर बहनों द्वारा तिलक करने के साथ उनकी दीर्घायु की कामना की गई। सुबह से लेकर देर सायं तक भैया दौज त्योहार को लेकर चहल-पहल रही। बहनें पर्व को लेकर बेहद उत्साहित थीं। उन्होंने भाइयों के घर तक पहुंचने के लिए जान को जोखिम में डालने से भी ऐतराज नहीं किया।

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भैया दौज त्योहार को लेकर शनिवार को प्रात: से ही भाइयों के घर बहनों ने भाई टीका करने के लिए व्यापक तैयारी की। जो बहनें अपनी ससुराल से भाई के घर टीका करने आई उनका उत्साह देखते बन रहा था। भैया-बहन का संबंध सदियों से एक ऐसा पवित्र संबंध भारतीय संस्कृति के पृष्ठों में जुड़ा हुआ है जिसको लेकर सैकड़ों पौराणिक गाथाएं प्रचलित हुई। बाजार में प्रात: से ही पंसारी की दुकानों पर नारियल गोले की भारी खरीद होते देखी गई। वहीं शुद्ध देशी घी से साधारण वनस्पति घी तक की मिठाइयों की दुकानों पर लोगों की अपार भीड़ रही। बहनों ने भारतीय संस्कृति के विधि विधान से घर में चौक बनाकर भाईयों के ललाट पर तिलक किया तथा उनके दीर्घायु की कामना करते हुए स्वस्थ एवं सुखी परिवार की ईश्वर कामना की। भाइयों ने भी बढ़-चढ़कर बहनों का आतिथ्य स्वीकार कर टीका करवाया तथा श्रद्धानुसार बहनों को उपहार दिए।

एटा शहर में काफी भीड़ नजर आई और महंगाई को लेकर त्योहार फीका रहने की संभावनाओं को भाइयों के प्रति बहनों के प्यार ने झुठला दिया। सायं तक भैया दौज के पर्व की चहल-पहल शहर, कस्बा, गांव में नजर आई। वहीं परंपरागत त्योहार ने यह सिद्ध कर दिखाया कि अभी भी पर्वो की उपयोगिता कम नहीं हुई है।

बहनों ने बदला बाजार का नजारा

बहनें भाइयों के घर जाएं और बिना सजे-संवरे ऐसा संभव कहां। अपने घरों से निकलकर कस्बाओं और शहरों में बहनों ने सजने-संवरने में जो भी कसर बची वह पूरी की। जिससे दीपावली के बाद बेरौनक बाजार में रौनक बढ़ गई। चूड़ी की दुकानों पर या फिर सौंदर्य प्रसाधन विक्रेताओं के यहां भी बहनों की खासी भीड़ थी। इसके अलावा भाइयों के लिए मिठाई खरीदने सहित उन्होंने सर्राफ के यहां भी खरीददारी करने में काफी रुचि दिखाई। यही वजह थी कि सिर्फ मिठाई विक्रेता ही नहीं बल्कि बाजारों की अन्य दुकानों पर भी भैया दौज पर खासी भीड़ थी। साड़ियों के शोरूम पर भी भीड़भाड़ दिखी।

जेल में भी उमड़ा बहनों का सैलाब

उनकी आंखों में भाइयों से मिलने का उत्साह साफ झलक रहा था, लेकिन दिल में दर्द भी था। घर पर भाइयों का तिलक न करने का मलाल भी उनमें नजर आ रहा था। आज उन्हें अपने भाइयों का तिलक करने के लिए उनके पास आना पड़ा। भाइयों ने भी बहनों के पैर छू कर उनसे आशीर्वाद लिया। जिला कारागार में सुबह से ही बहनों ने पहुंचकर भाइयों को तिलक किया और मिष्ठान खिलाया। शनिवार को त्योहार के मद्देनजर बहनों को भाइयों को मिलाने की तैयारियां जेल प्रशासन ने की थी। इस बीच लगभग 1700 बहनों ने अपने 650 कारागार में बंद भाइयों को तिलक किया। जेल अधीक्षक ए.एन. त्रिपाठी ने बताया कि तीन चरणों में बहनों को उनके भाइयों से मिलवाया गया।


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