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तापमान गिरते ही श्वांस रोगों का हमला

जागरण संवाददाता, एटा: तापमान में कमी आते ही सांस के रोगों का हमला शुरू हो गया है। अस्थमा और सीओपीडी

By Edited By: Published: Wed, 22 Oct 2014 08:32 PM (IST)Updated: Wed, 22 Oct 2014 08:32 PM (IST)
तापमान गिरते ही श्वांस रोगों का हमला

जागरण संवाददाता, एटा: तापमान में कमी आते ही सांस के रोगों का हमला शुरू हो गया है। अस्थमा और सीओपीडी क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मनरी डिजीज (सीओपीडी) के मरीज तेजी से बढ़े हैं। जिला अस्पताल में ऐसे मरीजों की संख्या प्रतिदिन डेड़ सौ तक पहुंच रही है।

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ऋतु परिवर्तन का असर विभिन्न रोगियों पर अलग-अलग तरह नजर आ रहा है। सांस के पुराने रोगी जहां अधिक परेशान हैं, वहीं नए रोगी भी चिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं। हफ्ते भर से सांस के रोगियों की संख्या में अचानक इजाफा हुआ है। जिला चिकित्सालय में प्रतिदिन 150 के लगभग सांस के रोगी पहुंच रहे हैं, जिनमें से 100 सीओपीडी से प्रभावित पाए जा रहे हैं। सामान्य तौर पर 40 वर्ष से अधिक उम्र वालों पर इस बीमारी का हमला होता है। इन मरीजों को धूल, धुआं और सर्दी से संक्रमण के कारण फेफड़ों में आने वाली रुकावट के चलते सांस लेना भारी पड़ता है।

इसके अलावा अस्थमा के मामलों में भी इजाफा हुआ है। जिला चिकित्सालय के डॉ. एस. चंद्रा ने बताया कि श्वांस रोग के मामलों में पल्मनरी फंक्शन टेस्ट (पीएफटी) के द्वारा रोगी के फेफड़ों की स्थिति पता की जाती है। उन्होंने सलाह दी कि इस तरह के रोगी सर्दी और वायु प्रदूषण से बचाव रखें।

बरतें सावधानी

- खांसी-जुकाम प्रभावित लोगों के संपर्क में न रहें।

- धूम्रपान और अधिक धुआं वाली जगह से परहेज करें।

- सर्दी से बचने को गर्म कपड़े और नहाने के लिए गर्म पानी का प्रयोग करें।

- नियमित व्यायाम करें और शुद्ध वातावरण में रहें।

- हरी सब्जियों और पौष्टिक आहार का सेवन करें।

दीपावली पर खास एहतियात जरूरी

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दीपावली पर सांस रोगियों को खास एहतियात की जरूरत है। आतिशबाजी से निकला धुआं और हानिकारक गैसें सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच कार्यक्षमता का प्रभावित करती हैं। इससे संक्रमण और दौरे तक का खतरा उत्पन्न हो जाता है। इसलिए सांस रोगी आतिशबाजी से दूरी बनाए रखें। साथ ही धुएं वाले खुले स्थानों की जगह घर के अंदर रहें, तो बेहतर है।


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