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फल संरक्षण केंद्र चला दो दिन में अढ़ाई कोस

By Edited By: Published: Thu, 21 Aug 2014 07:14 PM (IST)Updated: Thu, 21 Aug 2014 07:14 PM (IST)

जागरण संवाददाता, एटा : दो दिन चले अढ़ाई कोस की कहावत शहर के राजकीय फल संरक्षण केन्द्र पर खरी साबित हो रही है। आधी साल गुजरने के बावजूद अभी तक उद्यमिता विकास प्रशिक्षण नहीं हुआ है। वहीं केन्द्र साढ़े तीन सौ सामान्य प्रशिक्षण कैम्प के लक्ष्य के सापेक्ष केवल पैंतीस प्रशिक्षण कैंप पर ही सिमट गया है। स्टाफ की कमी व जनता के सहयोग न मिलने से केन्द्र मात्र औपचारिक कार्यक्रमों तक सीमित हो कर रह गया है।

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जनपद वासियों को फलों व सब्जियों के माध्यम से लजीज अचार, चटनी, जैम जैली के साथ-साथ स्वास्थ्य वर्धक मुरब्बों का प्रशिक्षण देने व उनके घरेलू उपयोग में आने वाले अचार आदि को बनाने वाला राजकीय फल संरक्षण केन्द्र स्वयं अपनी उपेक्षा का शिकार है। स्टाफ की भारी कमी के चलते सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य भी पूरे नहीं हो पा रहे है। आलम यह है कि इस वर्ष कोई उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं हुआ वहीं स्कूलों में साढ़े तीन सौ पन्द्रह दिवसीय प्रशिक्षण के लक्ष्य के सापेक्ष आधी साल से ज्यादा गुजरने के बावजूद केंद्र केवल पैंतीस प्रशिक्षणों में सिमट कर रह गया। सामुदायिक क्षेत्र में प्रचार प्रसार के अभाव में तीन हजार किलोग्राम अचार बनाने के लक्ष्य के सापेक्ष क्षेत्रवासियों ने मात्र 418 किलो अचार ही इस केंद्र से बनवाया। शासन स्तर से केन्द्र पर प्रभारी सहित सात का स्टाफ निर्धारित है, परन्तु चार लोगों के पद रिक्त चल रहे है और सहायक प्रभारी शुद्धोदक सिंह आर्य पर आगरा केंद्र का चार्ज होने के कारण वह भी इस केंद्र पर कभी कभार ही आ पाते है। वर्तमान में केन्द्र पर्यवेक्षक रामसेवक व परिचर के.डी. सिंह के सहारे चल रहा है। स्टाफ की कमी व जनता से सहयोग न मिलने के चलते केन्द्र दो दिन में अढ़ाई कोस ही चल पाया है।


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