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मतदान केंद्रों पर पहुंची कर्मचारियों की 'फौज'

By Edited By: Published: Wed, 23 Apr 2014 07:44 PM (IST)Updated: Wed, 23 Apr 2014 07:44 PM (IST)

जागरण संवाददाता, एटा/कासगंज: चुनावी महासंग्राम का मैदान सजकर तैयार हो गया है। गुरुवार को होने वाले रण के लिए बुधवार को कार्मिकों की फौज मतदान केंद्रों पर पहुंच गई। इससे पहले उनकी रवानगी के समय एटा और कासगंज में पूरे दिन मेला जैसा माहौल रहा।

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एटा जनपद के चार विधानसभा क्षेत्रों के तहत मतदान केंद्रों के लिए मंडी समिति से पार्टियों को रवाना किया गया। सुबह 8 बजे का समय तय किया गया था। जिसके अनुसार कर्मचारी वहां पहुंचना शुरू हो गए। विधानसभा वार अलग-अलग पटल बनाए गए थे। जहां से कार्मिकों ने ड्यूटी स्लिप, ईवीएम और स्टेशनरी आदि प्राप्त करना शुरू कर दिया। कुछ ही समय में कार्मिकों की जब भीड़ लगी तो अव्यवस्थाएं दिखने लगीं। ड्यूटी स्लिप के लिए कार्मिकों को धूप में लंबी कतारों में लगना पड़ा। पार्टियों की रवानगी के लिए भले ही 8 बजे से समय तय किया गया था, लेकिन तमाम जद्दोजहद के बीच 12 बजे के बाद ही उनकी रवानगी शुरू हो सकी। जो शाम तक अपने-अपने मतदान केंद्रों पर पहुंची। 1334 पार्टियों को बूथों पर भेजा गया है जबकि 129 को रिजर्व रखा गया है। पार्टियों की रवानगी के दौरान जिला मजिस्ट्रेट व जिला निर्वाचन अधिकारी मयूर माहेश्वरी, सीडीओ साहब सिंह, उपजिला निर्वाचन अधिकारी एडीएम राजेंद्र कुमार, सर्वेश कुमार दीक्षित आदि अधिकारी व्यवस्थाओं पर नजर रखे हुए थे।

कासगंज के एसजेएस इंटर कालेज से 1060 पोलिंग पार्टिया रवाना की गई। लगभग आठ हजार मतदान कार्मिकों के रवानगी के दौरान प्रशासनिक इंतजामों के बावजूद अव्यवस्था हावी रही। मतदान कार्मिकों को विधान सभावार बनाए गए पटल से ईवीएम मशीन और चुनाव से संबंधित स्टेशनरी प्राप्त करनी थी। कहीं पीठासीन अधिकारी अपनी मतदान टोली के लिए फिक्रमंद नजर आ रहे थे तो कहीं मतदान अधिकारी प्रथम, द्वितीय व तृतीय पीठासीन अधिकारी को खोजते नजर आ रहे थे। लाउडस्पीकर पर बार-बार गूंजती आवाज के माध्यम से मतदान कार्मिक अपनी टोली के पास पहुंचने का प्रयास करते दिखे। पीठासीन अधिकारी के रूप में पेपर सील की सीलिंग के बारे में पूछ रहे थे। कई पीठासीन अधिकारी हर मिलने वाले से एक ही सवाल कर रहे थे कि एसएमएस कैसे किया जाएगा।

पति संग पहुंची महिला कार्मिक

इस बार महिला कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने में कोई रियायत नहीं बरती गई। हालांकि छोटे बच्चों और पारिवारिक परिस्थितियों का हवाला देकर पूर्व में कई महिलाओं ने ड्यूटी कटवाने का प्रयास किया। इसके बावजूद जिनकी ड्यूटी लगी, उनमें से अधिकांश महिला कार्मिक अपने पति या अभिभावकों संग पहुंची।


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