टीबी रोगी की मौत के बाद चेता महकमा
निज प्रतिनिधि, एटा: प्रोग्रामेटिक मैनेजमेंट ऑफ ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (पीएमडीटी) प्रोजेक्ट जनपद में अभी ठीक ढंग से लागू भी नहीं हो पाया, कि एक टीबी रोगी की मौत हो गई। वह संभवत: मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट (एमडीआर) टीबी रोगी था, जिसकी जांच के लिए नमूना आगरा भेजा गया था। रोगी की मौत के बाद महकमा हरकत में आ गया है। एटा को दवा मंगाकर पहचाने गये ऐसे दो एमडीआर टीबी रोगियों का उपचार तुरंत शुरू करने के निर्देश दिये गये हैं।
मार्च में पीएमडीटी लागू होने के बाद संदिग्ध मरीजों के स्पुटम का सैंपल जांच के लिए भेजने के निर्देश तो दिये गये। लेकिन न तो एमडीआर टीबी उपचार की दवायें उपलब्ध कराई गई हैं और न पर्यवेक्षकों को कोई प्रशिक्षण ही दिया गया है। जिला क्षय रोग चिकित्सालय से अवागढ़ के एक ऐसे संदिग्ध एमडीआर टीबी रोगी का सैंपल जांच के लिए 22 मार्च को भेजा गया था। इस युवक को दूसरी बार क्षय रोग का कोर्स दिया जा रहा था। लेकिन कोई लाभ नजर नहीं आया था। आगरा से अभी तक जांच रिपोर्ट भी नहीं आई कि अप्रैल में रोगी की मौत हो गई। संदिग्ध एमडीआर टीबी रोगी की मौत के बाद शासन स्तर तक खलबली मच गई।
उधर, पीएमडीटी शुरू होने से पूर्व जांच के लिए दिल्ली भेजे गये दो क्षय रोगियों को एमडीआर टीबी की पुष्टि हो गई है। उन्हें उपचार के लिए एटा क्षय रोग चिकित्सालय भेजा गया है। परंतु जनपद में एमडीआर टीबी की दवा न होने से चिकित्सकों की चिंता बढ़ गई है। शासन से संपर्क कर दवा दिलाये जाने की मांग की गई। जिस पर आगरा से दवा मंगवाने के निर्देश दिये गये हैं। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. एसपी सिंह ने बताया कि 15 दिन की दवा दिल्ली से ही रोगियों को दी गई है।
दो और रोगियों की हो रही जांच
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जनपद में तमाम ऐसे क्षय रोगी हैं, जिन पर साधारण उपचार बेअसर हो चुका है। ऐसे रोगियों को छांटकर एमडीआर परीक्षण के लिए सैंपल भेजने का कार्य किया जा रहा है। पहले संदिग्ध रोगी की मौत जांच रिपोर्ट आने से पहले ही हो चुकी है। जबकि दो अन्य रोगियों का स्पुटम सैंपल के लिए आगरा भेजा गया है।
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