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खानाबदोश से बदतर कोलखास का जनजीवन

देवरिया : घाघरा के कहर से तबाह हुए ग्राम कोलखास के लोग प्रशासन व नुमाइंदों के उपेक्षा की मार झेलने

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Feb 2017 11:26 PM (IST)Updated: Sat, 25 Feb 2017 11:26 PM (IST)
खानाबदोश से बदतर कोलखास का जनजीवन

देवरिया : घाघरा के कहर से तबाह हुए ग्राम कोलखास के लोग प्रशासन व नुमाइंदों के उपेक्षा की मार झेलने को विवश हैं। उनकी पीड़ा नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हो रही है। नदी की कटान से बेघर हुए लोगों को आधुनिक सुविधा की कौन कहे आवास, बिजली व पानी जैसी भौतिक सुविधाएं ही अब तक मयस्सर नहीं हो पाई हैं।

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देवरिया व गोरखपुर जनपद की सीमा पर बसे ग्राम कोलखास का वजूद घाघरा की लहरों ने पांच वर्ष पूर्व समाप्त कर दिया था। प्रशासन से राहत का भरोसा मिलने पर ग्रामीणों ने रामजानकी मार्ग को आशियाना बना लिया। धीरे-धीरे उम्मीद के पांच साल गुजर गए, लेकिन कागज पर खींची गई सरकारी सहायता की लकीर का अक्स हकीकत के धरातल पर कहीं भी उभरता नहीं दिखाई दे रहा। कहने को तो भूमि का खाली टुकड़ा कुछ लोगों को आवंटित कर दिया गया है, लेकिन सिर छिपाने के लिए किसी को छत नहीं नसीब हुई। फूस की झोपड़ी ही इनका आसरा है। बिजली व पानी जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए इंतजार की आशाएं धूमिल पड़ने लगी हैं। इतना ही नहीं दर्जनों बदनसीब ऐसे भी हैं जो भूमि के लिए भी दर-दर की ठोकर खा रहे हैं। उनके लिए सड़क की पटरी ही स्थाई ठिकाना है। जिस पर टूटी-फूटी झोपड़ी खानाबदोश से भी बदतर जीवन की कहानी बयां कर रही है।

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आवास की आस में टूट रही सांस

बेघर हुए लोग रामजानकी मार्ग स्थित अग्रसेन सेतु के अप्रोच मार्ग पर अपना ठिकाना बना हुए हैं। मोतीलाल साहनी, सुमित्रा देवी, देवंती देवी, पन्ने लाल, सुभाष साहनी, रामकिशुन साहनी उम्र के आखिरी पड़ाव पर हैं। जीवन से संघर्ष के दौर में भी उन्होंने अपनी जमीन व आवास की आस नहीं छोड़ी है। उनका कहना है कि अधिकारी व नेता जमीन व आवास देने को कहे थे, लेकिन आज तक नहीं मिला। गुड्डू यादव, लालसा, दुक्खी, श्रीमन, सोहन, मोहन, चुन्नी, दिनेश यादव आदि का कहना है कि पुनर्वास के नाम 80 लोगों को दो डिस्मिल भूमि मिली, लेकिन अब तक आवास के नाम पर कुछ नहीं मिला। अशोक साहनी, कमलेश साहनी बताते हैं कि अभी दर्जनों ऐसे लोग हैं, जिन्हें भूमि भी नहीं आवंटित है। इसके अलावा बिजली, पानी व सड़क की कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं हुई।

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क्या कहते हैं जिम्मेदार

भूमि आवंटन के बाद किसी को आवास मिला या नहीं इसकी जानकारी नहीं है, जिन्हें भूमि नहीं मिली उन्हें जल्द ही उपलब्ध कराई जाएगी। बिजली व पानी की समस्या के समाधान लिए उपाय किया जाएगा।

गौरव श्रीवास्तव, एसडीएम गोला, गोरखपुर

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