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राप्ती की पुकार, कब जागोगे सरकार

देवरिया : चुनावी बयार तेज हो रही है। गांवों में धूल फांक रहे नेता वादों की झड़ी लगा रहे हैं, लेकिन चु

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Feb 2017 11:09 PM (IST)Updated: Thu, 23 Feb 2017 11:09 PM (IST)
राप्ती की पुकार, कब जागोगे सरकार
राप्ती की पुकार, कब जागोगे सरकार

देवरिया : चुनावी बयार तेज हो रही है। गांवों में धूल फांक रहे नेता वादों की झड़ी लगा रहे हैं, लेकिन चुनावी आंधी में बुनियादी समस्याओं का दूर-दूर तक पता नहीं है। रुद्रपुर व बरहज विधानसभा क्षेत्र के लिए जीवनदायिनी मानी जाने वाली राप्ती जहरीली होती जा रही है। नदी का जल प्रदूषित होने का खामियाजा किनारे बसे गांवों के लोग भुगत रहे हैं। कई तरह की बीमारियां फैल रही हैं तो पशुओं के मरने का सिलसिला शुरू हो गया है। इसके बावजूद रहनुमाओं ने इस पर गंभीरता से विचार नहीं किया।

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रुद्रपुर क्षेत्र से बहने वाले आधा दर्जन नालों को अपने में समेट कर राप्ती नदी कपरवार में सरयू नदी से मिलती है। गोरखपुर क्षेत्र में स्थापित मिलों से निकलने वाला कचरा नालों के माध्यम से राप्ती के पानी को जहरीला बना रहा है। कुछ ऐसी भी कंपनियां हैं, जिन्हें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रदूषण मुक्त करार दिया गया है। इन सब के बीच नदी के किनारे रहने वाले लोग जहरीले पानी का अभिशाप झेलने को विवश हैं। गंदे पानी की वजह से मच्छरों व जलजनित बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ गया है। हजारों परिवारों की रोजी रोटी पर भी संकट उत्पन्न हो गया है। नकईल, केवटलिया, पटवनिया, समोगर, मनियापार, मोहरा, कपरवार, भदिला प्रथम, धनया उर्फ कुंदमहाल आदि तटीय गांव के हैंडपंप मीठा जहर उगल रहे हैं।

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अफसर नहीं सुन रहे बात

तटवर्ती गांव गायघाट के ग्रामीण राममनोहर, पटवनिया के संतराज यादव, केवटलिया के गुड्डू ¨सह, समोगर के उमेश ¨सह, संजय बरनवाल, संतोष ¨सह, मनियापार के सतीश ¨सह, वृद्धिचंद ¨सह, अनिल यादव आदि का कहना है कि नदी का पानी इतना काला पड़ा गया है कि शरीर पर पड़ते ही फफोले व दाने पड़ जाते हैं। खुजली से जान निकलने लगती है। कई लोगों की जान जा चुकी है। पशुओं के लिए भी यह पानी जहर बन गया है। अफसरों से शिकायत करने पर सिर्फ आश्वासन मिलता है। हैंडपंप नदी के वजह से जहर उगल रहे हैं।

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प्रदूषण अनियोजित विकास का दुष्परिणाम

बीआरडीबीडी पीजी कालेज बरहज के पर्यावरणविद् डा. ओमप्रकाश शुक्ल का मानना है कि प्रदूषण अनियोजित विकास का दुष्परिणाम है। जहां विकास रोकना संभव नहीं है वहीं प्रदूषण की मार झेलना भी मुश्किल है। आमी के गंदे जल, मिलों से निकले कचरे व रासायनिक तत्वों के चलते राप्ती के पानी में सीसा, सल्फर, नाइट्रेट की मात्रा बढ़ गई है। वाष्पोत्सर्जन के जरिये वायु तथा धरती में पानी अवशोषित होने से जल प्रदूषण बढ़ रहा है। नदियों से निकले पानी में मौजूद हानिकारक रसायनों को सीवरेज प्लांट लगाकर रोका जा सकता है। इसके अलावा एंटीआक्सीडेंट से पानी में मौजूद जहरीले रसायनों का प्रभाव कम किया जा सकता है।

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गोरखपुर क्षेत्र में 193 छोटी कंपनियां हैं, जिन्हें प्रदूषण मुक्त करार दिया गया है, जबकि वह मानक के अनुरूप कार्य नहीं कर रही हैं। सरैया मिल को ग्रीन चैपल से नोटिस मिला है। अगर कहीं प्रदूषित पानी नदी में जा रहा है तो जांच कर कार्रवाई होगी।

एसबी ¨सह

प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी गोरखपुर मंडल

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हैंडपंप से दूषित जल निकल रहा है तो उसके लिए जल निगम जिम्मेदार है। रही बात हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों की तो उससे बचाव के लिए टीकाकरण कराया जा रहा है।

डा. एसएन ¨सह

सीएमओ, देवरिया


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