घाघरा की कहर से किसान तबाह
देवरिया: घाघरा व राप्ती के संगम तट पर घाघरा का किसानों पर लगभग एक माह से कह ढा रही है। पूरी महीने म
देवरिया: घाघरा व राप्ती के संगम तट पर घाघरा का किसानों पर लगभग एक माह से कह ढा रही है। पूरी महीने में संगम तट पर परसिया कूर्ह व कपरवार के किसानों की करीब 12 एकड़ खेती नदी लील चुकी है। फसल लगे खेत कटते देख किसानों के चेहरे स्याह पड़ गए हैं। तहसील प्रशासन द्वारा कटान की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजे जाने के बाद भी कटानरोधी उपाय अब तक शुरू नहीं हो सके हैं।
परसिया कूर्ह गांव का वजूद मिटाकर ग्रामीणों को कंगाल बनाने के बाद भी नदी ग्रामीणों पर रहम करती नहीं दिख रही है। कटान से बेघर हुए ग्रामीण सड़क के किनारे व बाढ़ राहत शिविरों में जीवन व्यतीत करने को विवश हैं। प्रशासन की उपेक्षा झेल रहे ग्रामीणों को उम्मीद थी कि अगर प्रशासन ने राहत नहीं दी तो जो खेती बची है उसी पर आशियाना बनाएंगे, ¨कतु अब वह भी हाथ से जाता रहा। नदी की क्रूर लहरें खेती पर कहर ढा रही हैं। इस बार सर्वाधिक कपरवार के किसान घाघरा के प्रकोप का शिकार हो रहे हैं।
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किसान बोले नहीं सुन रहे अफसर
संगम तट पर अरहर व गेहूं की बोआई किसानों ने की है, जिस पर घाघरा की नजर लग गई है। ज्ञानेश्वर ¨सह, गंगा यादव, सुखारी यादव, रामनक्षत्र यादव, सुरेश यादव, गोल्डेन ¨सह, राजेन्द्र नारायण ¨सह, मंटू, छोटक ¨सह, रामसुभग यादव, सुबास गुप्ता, राजू गुप्ता, सुमेर यादव, तेजबहादुर ¨सह, कमलेश यादव, अशोक ¨सह आदि किसानों का कहना है कि हर रोज हमारे खेत का कुछ हिस्सा कट कर नदी में समाहित हो रहा है। एसडीएम साहब मौके पर आए तो लगा कि शायद अब कटान रोकने का कुछ उपाय हो, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। एक महीने में 12 एकड़ गेहूं और अरहर लगी फसल कट कर नदी में विलीन हो गई है।
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असमय कटान होना ¨चता की बात है। कटान से होने वाले नुकसान की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी गई है। शीघ्र कटान रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
-राकेश ¨सह
उपजिलाधिकारी बरहज
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