अंतिम दौर में प्रतापपुर चीनी मिल
देवरिया: प्रतापपुर चीनी मिल नो केन में चल रही है और अपने पेराई सत्र के अंतिम दौर में है। हाल यह है क
देवरिया: प्रतापपुर चीनी मिल नो केन में चल रही है और अपने पेराई सत्र के अंतिम दौर में है। हाल यह है कि समय से पहले यह मिल अपने पेराई सत्र का अंत करने जा रही है। कारण गन्ना की अनुपलब्धता खुलकर सामने आई है। हाल यह है कि पूरा दिन गन्ना एकत्र किया जा रहा है और पूरी रात पेराई की जा रही है। मिल प्रतिदिन नुकसान उठाकर किसानों का गन्ना पेर रही है। दो चार दिन के अंदर मिल का पहिया थम जाएगा और इस पेराई सत्र के समापन की घोषणा कर दी जाएगी।
इस वर्ष मिल का पेराई कार्य का शुभारंभ छह दिसबंर को डोंगा पूजन के साथ हुआ और सात दिसंबर से मिल ने गन्ना पेरना शुरु किया। मिल को आवंटित क्षेत्र में गन्ने का रकबा लगातार कम होता चला जा रहा है। इस वर्ष भी किसानों ने सीमित क्षेत्रफल में गन्ने की खेती की। मिल ने 14 लाख ¨क्वटल गन्ना पेरने का लक्ष्य रखा था। प्रतापपुर चीनी मिल गेट क्षेत्र के एरिये का गन्ना समाप्त हो गया है। प्रतापपुर मिल में पचास क्रय केंद्र अपना गन्ना भेजते हैं। देवरिया जनपद व कुशीनगर जनपद की सीमा पर स्थित गन्ना क्रय केंद्रों में कनकपुरा ए, कनकपुरा बी, बंजरिया, कंचनपुर, तीरमा साउं, सुन्दरपार केंद्रों का गन्ना ही मात्र शेष रह गया है। नौ जनवरी से 10 से 15 घंटा मिल नो केन में बंद रह रही है। मिल कर्मियों व अधिकारियों ने दबी जुबान बताया कि यह मिल प्रशासनिक दबाव में चलाया जा रहा है। नहीं तो मिल को चलाने में प्रतिदिन घाटा हो रहा है।