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सुपर्णखा के काटे नाक-कान

देवरिया: श्रीराम लीला समिति के तत्वावधान में शिव कला लोक कल्याण समित मुरादाबाद के कलाकारों द्वारा र

By Edited By: Published: Fri, 21 Oct 2016 11:05 PM (IST)Updated: Fri, 21 Oct 2016 11:05 PM (IST)

देवरिया: श्रीराम लीला समिति के तत्वावधान में शिव कला लोक कल्याण समित मुरादाबाद के कलाकारों द्वारा रामलीला के छठे दिन मंचन में भरत एवं माता कैकयी का रोष पूर्ण प्रसंग संवाद हुआ। लीला के दौरान सीताहरण का दृश्य देख दर्शक भावुक हो गए।

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लीला में जब राम, लक्ष्मण व सीता के वन गमन की खबर भरत को हुई तो वह सीधे भगवान राम के पास पहुंते हैं। जहां राम-भरत मिलाप का बहुचर्चित हृदयस्पर्शी प्रसंग का अछ्वुत मंचन किया गया। तत्पश्चात नारद, सुपर्णखा का नाक कान काटने का प्रसंग हुआ। खरदूषण के वध और सुपर्णखा के नाक-कान काटने की खबर जब रावण के दरबार में पहुंची तो रावण आक्रोशित हो उठा। रावण सीता के हरण की योजना बना ली। इस अवसर पर अध्यक्ष अरुण कुमार बरनवाल, मंत्री निखिल सोनी, कमलेश मित्तल, राजेंद्र प्रसाद जायसवाल, सुभाष मद्देशिया, श्रीचंद गोरे, कैलाश वर्मा, हीरालाल वर्मा, कंचन बरनवाल, डा.धीरेंद्र मणि, नरेंद्र कुमार बरनवाल, कपिल सोनी, रमाशंकर वर्मा, राजेश वर्मा, राज कुमार सोनी, अखिलेंद्र शाही, डा.सौरभ कुमार श्रीवास्तव, जावेद अहमद, उपेंद्र शाही, अनिल जायसवाल, मनोज बरनवाल, श्याम मनोहर, अशोक मद्देशिया, शिवजी सर्राफ, श्रीमती पुष्पा बरनवाल, श्याम मनोहर, अशोक मद्देशिया, शिवजी सर्राफ, यशोदा जायसवाल, संध्या बरनवाल, पूनम मणि आदि कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित रहे।

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फुलवारी में हुई राम सीता की पहली मुलाकात

जागरण संवाददाता, कपरवार, देवरिया: कपरवार के रामलीला मैदान में आयोजित रामलीला में जनकपुर में फुलवारी का मनोरम मंचन हुआ। फुलवारी में भगवान राम और सीता के बीच हुए मौन संवाद दृश्य का भावपूर्ण मंचन देख दर्शक भाव-विभोर हो गए।

लीला की शुरुआत जनकपुर नरेश राजा जनक के महल से होती है, जहां जानकी घर की सफाई के दौरान घर में रखा भगवान शिव का धनुष उठाकर दूसरी जगह रख देती है। इसे देख जनक हैरत में पड़ जाते हैं। काफी विचार विमर्श के बाद वह एक शर्त के साथ सीता के विवाह की घोषणा करते हैं कि जो शिव धनुष तोड़ेगा उसी के साथ वैदेही ब्याहेगी। अगले दृश्य में राजा जनक का दरबार लगा हुआ है। इसी बीच महर्षि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण के साथ पधारते हैं। ऋषि के साथ दोनों राजकुमारों को देख हर किसी की आंख उन पर ही टिक कई। राजा विश्वामित्र का अभिवादन करते हैं और उन्हें विश्रामगृह में ले जाते हैं।

तीसरे दृश्य में महर्षि के निर्देश पर राम पूजा हेतु पुष्प लाने फुलवारी में जाते हैं। वहां पर सीता भी पुष्प तोड़ रही होती हैं। पुष्प तोड़ने के दौरान दोनो की नजरें एक दूसरे से मिल जाती है और राम सीता तथा सीता राम को देखती रह जाती हैं। इसे देख सहेलियों ने सीता की चुटकी ली तो उनकी चेतना वापस लौटी। वह सखियों संग विनोद करते हुए महल लौट जाती है। इसके साथ ही लाला समाप्त हो जाती है।

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भरत मिलाप की लीला का कलाकारों ने किया मंचन

जागरण संवाददाता, सलेमपुर, देवरिया: भटनी विकास खंड के ग्राम जिगिना मिश्र में चल रहे रामलीला के सातवें दिन गुरुवार की रात स्थानीय कलाकारों ने भरत मिलाप के लीला का शानदार मंचन किया। मंचन को देख दर्शकों की आंखें भर आई।

लीला की शुरुआत में दिखाया गया कि भगवान श्रीराम सीता जी व लक्ष्मण जी के साथ वन चले गए रहते हैं। भरत जी अयोध्या आते हैं तो भगवान श्रीराम के साथ ही सीता जी व लक्ष्मण जी के वन जाने की बात सुनते हैं। राम वन गमन के बारे में जानकारी लेते हैं तो वह अपनी मां पर आक्रोशित हो जाते हैं। इसके बाद वह भगवान श्रीराम को अयोध्या लाने के लिए निकल पड़ते हैं। जब वह सेना के साथ भगवान श्रीराम की कुटी की तरफ आते हुए दिखाई देते हैं तो लक्ष्मण जी परेशान हो जाते हैं। भगवान श्रीराम उन्हें समझाते हैं और भरत जी के आने का इंतजार करने लगते हैं। भरत जी भगवान श्रीराम से गले मिलते हैं। भरत जी कहते हैं कि आप अयोध्या चलिए, लेकिन भगवान श्रीराम पिता जी को दिए गए वचन की बात कहते हुए अयोध्या न जाने की बात कहते हुए भरत जी को अयोध्या लौट जाने की बात कहते हैं। भरत जी भगवान श्रीराम का खड़ाऊ मांगते हैं। लीला के दौरान इंदू शेखर मिश्र, बबलू मिश्र, दिलीप मिश्र, सुनीत मिश्र, मुक्ति मिश्र, पवन मिश्र, तन्नू मिश्र, रामनिवास मिश्र उर्फ छांगुर बाबा, रोहित, शिवाकांत मिश्र प्रमुख रुप से उपस्थित रहे।

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प्रभु राम ने किया अहिल्या का उद्धार

जागरण संवाददाता,रुद्रपुर, देवरिया : उपनगर स्थित बाबा दुग्धेश्वरनाथ मंदिर के समीप चल रही रामलीला में कलाकारों ने अहिल्या उद्धार की लीला का भावपूर्ण मंचन किया। जिसे देख दर्शक लोग भावुक हो गए। लीला का शुभारंभ भगवान राम और लक्ष्मण महर्षि विश्वामित्र की यज्ञ की रक्षा के लिए अयोध्या से निकलते हैं। जंगल में पंपापुर राज्य के समीप ताड़का नाम की राक्षसी का वध करते हुए आगे बढ़ते हैं। गौतम ऋषि के श्राप से शीला बनी अहिल्या के उपर जब चरण कमल पड़ता है तो वह तुरंत उठ खड़ी होकर भगवान चरणों में गिर जाती है। भगवान उनसे कारण पूछते हैं। अहिल्या जबाव देती हैं। एक समय इंद्र मुर्गा बनकर आधी रात को उन्हें गंगा स्नान के लिए जगाते हैं। गौतम ऋषि गंगा के तट पर निकल जाते हैं। इधर छल करके इंद्र उनकी पत्नी के पास पहुंच कर उन्हें परेशान करते हैं। इसी बीच मां गंगा गौतम ऋषि से कहती हैं तुम आधी रात को यहां आए हो वहां तुम्हारी पत्नी के साथ इंद्र छल कर रहा है। लीला को देख दर्शक भावुक हो गए। इसके अलावा कलाकारों ने फुलवारी लीला का भी सजीव मंचन किया। लीला का उद्घाटन बसपा नेत्री व पूर्व प्रमुख ज्ञानमती निषाद ने भगवान की आरती कर किया। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष आनंद ¨सह, सचिव पन्नेलाल यादव, राजपति तिवारी, सूर्यनारायण पांडेय, कमलेश ¨सह, छोटू यादव, मनीष यादव, संत प्रसाद तिवारी, शिवरतन गुप्ता, अनिरुद्ध मद्धेशिया, अजय गुप्ता, मृत्यंजय गिरी आदि मौजूद रहे।

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यज्ञ की रक्षा के लिए विश्वामित्र पहुंचे दशरथ के पास

मदनपुर, देवरिया: राक्षसों के अत्याचार से दु:खी ऋषि मुनियों को उबारने प्रभु श्रीराम ने विश्वामित्र मुनि के यज्ञ की रक्षा के साथ ही तड़का, सुबाहु जैसे राक्षसों का अंत किया। इसके उपरांत महा मुनि के आदेश पर गौतम को श्राप मुक्त किया।

क्षेत्र के ग्राम बरांव में आयोजित रामलीला में कलाकारों ने उक्त कथा का सजीव मंचन किया। लीला के मंचन में विश्वामित्र जी महाराज दशरथ से यज्ञ की रखवाली के लिए राम-लखन को मांग कर लाते हैं। रास्ते में दोनों भाइयों ने विकराल राक्षसी तड़का का अंत किया। यज्ञ नष्ट करने पहुंचे सुबाहु का संहार किया, जबकि मारीच को बाण से सौ योजन दूर डाल दिया। इसके पूर्व चारों भाइयों की आरती करने के उपरांत जिला पंचायत सदस्य गिरेंद्र प्रताप यादव ने कहा कि रामलीला लोक कला के साथ ही सनातन धर्म की प्रतीक है। इसे जीवंत रखने की आवश्यकता है। इस दौरान इंद्रासन पांडेय, निशेष पांडेय, कृष्णमुरारी पांडेय, विवेका पांडेय, सुभाष, उपेंद्र पांडेय आदि उपस्थित रहे।


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