देख तेरे इंसान की हालत क्या हो गई भगवान..
देवरिया : अब तो संवेदनहीनता की भी इंतहा हो गई है। समय ने हमारे समाज को इस कदर निर्मम बना दिया है कि
देवरिया : अब तो संवेदनहीनता की भी इंतहा हो गई है। समय ने हमारे समाज को इस कदर निर्मम बना दिया है कि किसी मरणासन्न युवक की करुण पुकार पर कान देना हम गंवारा नहीं समझते। मानवता को शर्मसार करने वाली एक ऐसी ही घटना शनिवार को तब प्रकाश में आई जब शहर के आफिसर्स कालोनी के नाबदान से उस मरणासन्न युवक को बाहर निकाला गया, जो जान बचाने की गुहार बीते पांच दिनों से लगाते हुए मौत के मुहाने तक जा पहुंचा। फिर भी राहगीरों की अंतर आत्मा उनके सोए जमीर को जगाने में नाकाम रही। मदद में आगे बढ़ने की बजाय वह मुंह फेर कर चलते बने। नतीजा हुआ कि अज्ञात युवक इस वक्त जिला अस्पताल में जीवन व मौत से जूझ रहा है।
शनिवार को दोपहर बाद नगर पालिका के सफाईकर्मी रवींद्र किशोर शाही स्पोर्ट्स स्टेडियम के पश्चिमी द्वार के पास पहुंचे। इसके बाद उन्होंने सड़क की सफाई शुरू की। इस बीच उनमें से कुछ सफाईकर्मी स्टेडियम की दीवार से सटे नाबदान की सफाई करने आगे बढ़े। उनकी निगाह नाबदान में गई। नाबदान का नजारा चौंकाने वाला रहा। कोई अर्द्धनग्न युवक मुंह के बल मरणासन्न हाल में नाबदान में पड़ा मिला। इसकी जानकारी सफाईकर्मियों ने सहकर्मियों को दी। सभी मौके पर आए। प्रथम दृष्टया उन्हें लगा कि किसी युवक का शव नाबदान में पड़ा है। क्योंकि मरणासन्न युवक के शरीर में कोई सुगबुगाहट नहीं मिली। यह सूचना तत्काल कोतवाली पुलिस को दी गई। उसे बताया गया कि किसी युवक का शव एडीएम वित्त व राजस्व के आवास के ठीक सामने नाबदान में पड़ा है। पुलिस के पहुंचने से पहले कुछ और लोग मौके पर जमा हुए। लोगों की सलाह पर मरणासन्न युवक को नाबदान से बाहर निकाला गया। सफाई कर्मियों ने देखा कि मरणासन्न युवक के हथेली पर इंट्राकैफ लगा है। इससे अनुमान लगाया गया कि उपचार के दौरान युवक नाबदान तक आ पहुंचा। इस बीच कुछ सफाई कर्मियों ने कहा कि यह युवक बीते पांच दिनों से स्टेडियम के इर्द-गिर्द देखा जा रहा है। उसके सिर, चेहरे व शरीर के अन्य हिस्से में चोट के गंभीर निशान पाए गए। युवक को तत्काल जिला अस्पताल भेजा गया। प्राथमिक उपचार के बाद घायल युवक को चिकित्सकों ने मेडिकल वार्ड में भर्ती किया। चिकित्सकों के मुताबिक प्रथम दृष्टया युवक मानसिक बीमार लग रहा है। बहरहाल लोगों के बीच चर्चा का केंद्र नाबदान में पड़े मरणासन्न युवक पर किसी की निगाह न पड़ना रहा। वह इस को कतई मानने को तैयार नहीं हुए कि जिस सड़क पर सुबह व शाम टहलने व दौड़ने वालों की तादात हजारों में देखी जाती है, उसमें से किसी एक की भी नजर पांच दिनों तक कराहते रहे युवक पर नहीं गई होगी। भीड़ ने माना कि पुलिस अधीक्षक आवास के समीप नाबदान में युवक का मृतप्राय मिलना संवेदनहीनता का एक बड़ा उदाहरण है।