जीवंत हो उठी पूर्वांचल की लोक संस्कृति
देवरिया: बरहज के सरयू तट पर आयोजित सरयू महोत्सव लोक गीतों व संस्कृति को नई पहचान दे गया। सांस्कृतिक
देवरिया: बरहज के सरयू तट पर आयोजित सरयू महोत्सव लोक गीतों व संस्कृति को नई पहचान दे गया। सांस्कृतिक संगम सलेमपुर के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम में पूर्वाचल की लोक संस्कृति जीवंत हो उठी।
कार्यक्रम की शुरुआत नपाध्यक्ष अजीत जायसवाल ने मां सरस्वती व मां सरयू के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलन व माल्यार्पण कर किया। संबोधन में श्री जायसवाल ने महोत्सव के आयोजन व उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इसके बाद शुरु हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का दौर जो देर शाम तक चला। वर्ष के बारह ¨हदी के महीनों के प्रचलित अलग-अलग लोक गीत व संगीत को प्रस्तुत किया गया। शुरुआत कजरी आईल सावन कि हे सखी झर-झर बरसेले मेघवा ना. से हुई। गीत व नृत्य की लयबद्धता से पूरा माहौल सावन की मस्ती में डूब गया।
इसके बाद भाद्र पद महीने में कृष्ण जन्म पर सोहर मथुरा में ले के अवतार कन्हाई गोकुला पधारेन हो., सोहर की भावपूर्ण प्रस्तुति पर पूरा वातावरण श्याम भक्ति से सराबोर हो गया। अश्विन मास में मां दुर्गा की आराधना करता गीत तोहरी मंदिर के दुअरिया मइया बड़ा नीक लागेला., फिर मां छठ पूजा का गीत केरवा जो फरेला घवद में उपर सुगा मड़राये., कांचे बांस के बहंगिया, बहंगी लटकत जाई.गीत व नृत्य प्रस्तुत किया तो लोग लोक संगीत के रस में डूब गए। आज बिरज में होरी रे रसिया.,होली गीत पर जमकर अबीर गुलाल उड़े।
इस दौरान रामेश्वर यादव, राधारमण पांडेय, संजय कुमार बरनवाल, अर¨वद त्रिपाठी, तारकेश्वर वर्मा, प्रदीप जायसवाल, ¨वदेश्वर गिरि, रमेश तिवारी अंजान, परशुराम पांडेय, कृष्ण मुरारी अग्रवाल, सभासद संजय जायसवाल, धर्मेंद्र जायसवाल, मदन गुप्त, मनोज कुशवाहा, अनिल ¨सह, रमेश यादव, छात्र नेता सचिन जायसवाल, अनिल कसेरा, मनोज गुप्ता, अमित जायसवाल, सुनील पांडेय, रतन सोनकर, अमरजीत सोनकर, राणा ¨सह, अनिल मिश्र, शेषनाथ यादव आदि मौजूद रहे।