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पहले नदी ने छीना फिर सरकार ने उनके हाल पर छोड़ा

देवरिया : घाघरा की कटान से तबाह हो चुके परसिया कूर्ह के निवासियों को रहनुमाओं ने उनके हाल पर छोड़ दि

By Edited By: Published: Wed, 24 Aug 2016 11:59 PM (IST)Updated: Wed, 24 Aug 2016 11:59 PM (IST)

देवरिया : घाघरा की कटान से तबाह हो चुके परसिया कूर्ह के निवासियों को रहनुमाओं ने उनके हाल पर छोड़ दिया है। कुछ परिवारों को दूर दराज के गांवों में भूमि का आवंटन कर प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया । तमाम परिवार बाढ़ शिविरों व सड़क के किनारे खानाबदोश जीवन जीने को विवश हैं। प्रशासन ने उनको बसा पाने से हाथ खड़ा कर दिया है।

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गांव को बचाने के लिए लगभग 43 करोड़ रुपये की तीन कार्य योजना शासन को भेजी गई थी। शासन का तर्क था कि इतनी बड़ी धनराशि से कम धन खर्च कर ग्रामीणों को दूसरे स्थान पर बसाया जा सकता है। अधिकारियों का दावा था कि कटान से बेघर हुए लोगों को दूसरे स्थान पर भूमि खरीद कर बसाया जाएगा। ग्राम पिपरा कोट व नदुआ में जमीन खरीद कर दर्जनों परिवारों को आवंटित किया गया, लेकिन तमाम परिवारों को अब भी भूमि नहीं मिल सकी है। वे लोग बेसहारा हैं। न सिर पर छत है और न ही भोजन का इंतजाम। बेघर हुए गरीब परिवारों को प्रशासन सिर्फ आवास की घुट्टी पिला रहा है। इनके लिए अपना आवास सपना ही रह गया है। ग्रामीणों की बेबसी यह है कि उनकी जमीन और मकान सब नदी में समाहित हो गई। पैसे के अभाव में जमीन खरीदना भी संभव नहीं है।

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झूठ बोल रहे अधिकारी व जनप्रतिनिधि

आठ साल से घाघरा का कहर झेल रहे परसिया कूर्ह के ग्रामीणों में प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के प्रति गुस्सा है। प्राथमिक विद्यालय कपरवार में शरण लिए रघुवंश मिश्र का कहना है मकान व खेत कट गया। प्रशासन से 70 हजार रुपये मिले, भूमि अब तक नहीं मिली है। अधिकारी हो या नेता सब झूठ बोल रहे हैं। पहले कहते थे गांव को बचाना संभव नहीं है। अब जब गृहस्थी उजड़ गई है तो रहने का इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं। कंचन देवी ने बताया कि घर में खाने का इंतजाम नहीं है। राशन, तेल सब खत्म है। प्रशासन ने घर कटने का मुआवजा 15 हजार रुपये तीन साल पहले दिया था। इस साल जमीन मिली, लेकिन मकान बनाने के लिए पैसे ही नहीं हैं। जमीला खातून ने कहा कि 14 हजार रुपये मिले और जमीन इतनी दूर कि वहां अकेले रहना संभव नहीं। सुशीला पत्नी शायरनाथ, सलमा खातून, गुल मोहम्मद आदि ने कहा कि गांव की तबाही के लिए प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधि भी जिम्मेदार हैं। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी दलों के लोग सिर्फ चुनाव में वोट लेने के लिए गांव को बचाने का आश्वासन देते हैं।

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अधिकांश परिवारों को पिपरा कोट और नदुआ में भूमि खरीद कर आवंटित कर दी गई है। जिन लोगों को भूमि नहीं मिली है। जिनके इंदिरा आवास कट गए हैं उसके निर्माण हेतु शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। इसके बाद भी जो लोग बचें हैं उनके लिए फिलहाल कोई योजना नहीं है।

राकेश ¨सह उपजिलाधिकारी, बरहज, देवरिया


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