Move to Jagran APP

प्रभु को पाने का साधन था सीता स्वयंवर

देवरिया : सदर तहसील क्षेत्र के ग्रामसभा उदयपुरा में चल रहे श्रीराम चरित मानस कथा के तीसरे दिन कथा वा

By Edited By: Published: Sat, 23 Jul 2016 11:23 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jul 2016 11:23 PM (IST)
प्रभु को पाने का साधन था सीता स्वयंवर

देवरिया : सदर तहसील क्षेत्र के ग्रामसभा उदयपुरा में चल रहे श्रीराम चरित मानस कथा के तीसरे दिन कथा वाचक संत शिरोमणि सुश्री किरन प्रज्ञा भारती ने कहा कि राजा जनक द्वारा सीता स्वयंवर का आयोजन श्रीराम को पाने का एक साधन मात्र था, क्योंकि सीता द्वारा धनुष उठाने के बाद उन्हें यह ज्ञात हो गया था कि सीता शक्ति की अवतार हैं। इसलिए श्रीनारायण भी जरुर अवतरित हुए होंगे। इसके बाद उन्होंने प्रतिज्ञा की। स्वयंवर में अनेकों राजा आए, लेकिन शिवजी के पिनाक नामक धनुष को हीला न सके। अंत में भाई लक्ष्मण सहित स्वयंवर में आए श्रीराम ने गुरु विश्वामित्र का आदेश मिलते ही धनुष को तोड़ दिया, जहां श्रीराम को भगवान परशुराम के क्रोध का सामना करना पड़ा। श्रीराम के विनम्र उत्तर से परशुराम उनके वास्तविक रूप को जान कर शांत हो गए और वहां से चले गए। अत: भक्त अपने भक्ति से भगवान को तथा विनम्र व शालीनता के भाव से बड़े से बड़े क्रोध को झुका या शांत कर सकता है। इस अवसर पर व्यवस्थापक सुरेश तिवारी, राजेश मिश्र, विनय मिश्र, हेम नरायण मिश्र, सुनील उपाध्याय, हिमांशु, अंकुर, सैंकी, दीपक, अंकित, रूपेश, ¨रकु, लव, सोनू, प्रेम, चुलबुल मिश्र आदि उपस्थित रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.