मेंहदी से पहले धूल गया ¨सदूर
जागरण संवाददाता, सलेमपुर, देवरिया : सुधीर ने कल्पना के साथ धूमधाम से सात फेरे लिया। फिर सात जन्मों त
जागरण संवाददाता, सलेमपुर, देवरिया : सुधीर ने कल्पना के साथ धूमधाम से सात फेरे लिया। फिर सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा किया, लेकिन छह दिन बाद ही भगवान ने अग्नि को साक्षी मानकर लिए गए वादे को तोड़ दिया। एक मार्ग दुर्घटना ने कल्पना से हमेशा के लिए सुधीर को छीन लिया। अब तो पत्नी कल्पना तथा परिवार के अन्य सदस्य दहाड़ मारकर रो रहे हैं। पूरा गांव चीत्कार में डूब गया है।
भागलपुर विकास खंड के कसिली गांव निवासी भगवान मिश्र दूसरा पुत्र सुधीर 2011 में उत्तर प्रदेश पुलिस में नौकरी पा गया। बड़े भाई सचिन ने सुधीर की शादी देवरिया के परसिया अहिर निवासी राधेश्याम तिवारी की बेटी कल्पना से तय की और फिर धूमधाम से 17 अप्रैल को तिलक का कार्यक्रम हुआ। 20 अप्रैल को कल्पना के साथ सुधीर ने सात फेरे लिए और सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा किया, लेकिन भगवान को यह मंजूर नहीं था। सुधीर एक मार्ग दुर्घटना में हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उधर पत्नी कल्पना को इसकी जानकारी मिली तो वह दहाड़ मारकर रोने लगी और चंद मिनट में ही बेहोश होकर गिर जा रही थी। सुधीर की बहन निशा मिश्रा व नीलम मिश्र का तो रोते-रोते बुरा हाल था। वह अपने भाई की एक झलक पाने के लिए बेचैन थी। पत्नी व बहनों को रोता देख आसपास के लोगों की भी आंखें भर आई।
हर समय खुशी पर लगा ग्रहण
-इस परिवार पर तो भगवान की हमेशा से टेढ़ी नजर रही है। 2007 में भगवान मिश्र को भगवान ने इस दुनिया से उठा लिया। इसके छह माह बाद में भगवान मिश्र की पत्नी भी दुनिया छोड़ दी। कुछ दिन बाद दादा-दादी ने भी साथ छोड़ दिया। अभी परिवार के लोग हालात सुधारने की कोशिश कर रहे थे कि अचानक इस मार्ग दुर्घटना ने परिवार को पूरी तरह तोड़ कर रख दिया है।
दिया गया गार्ड आफ आनर
-सुधीर बहुत ही व्यावहारिक लड़का था। भर्ती होने के बाद जब भी गांव आता तो गांव के लोगों से आदर पूर्वक मिलता था और सभी का कुशलक्षेम भी पूछता रहता। जब उसकी मौत की सूचना मिली तो गांव के अधिकांश लोग उसके मिलनसार छवि की चर्चा करते हुए उसके दरवाजे पर पहुंच गए और आंखों में भी आंसू छलक आए। उधर पुलिस विभाग द्वारा सुधीर को गार्ड आफ आनर दिया गया तो पुलिस कर्मियों की भी आंखें छलछला उठी।
साथी का छूट गया साथ
-गांव के दीपू ¨सह से उसका संबंध बहुत मधुर था। दोनों ने एक साथ पढ़ाई की और फिर दोनों एक ही साथ पुलिस में भी भर्ती हो गए। बुधवार को सुधीर की छुट्टी समाप्त भी हो रही थी, लेकिन दोस्त के घर का भूमि पूजन होने के चलते वह देवरिया जा रहा था। जब सुधीर की मौत होने की सूचना दीपू को मिली तो वह दहाड़ मारकर रोने लगा और उसके शव से लिपट गया।
अंतिम विदाई में उमड़ पड़ा जवार
-सुधीर की मौत की सूचना के बाद से ही दरवाजे पर लोगों का आना शुरू हो गया था, जब अन्त्य परीक्षण के बाद शव शाम को दरवाजे पर आया तो पूरे जवार के लोग पहुंच गए और अपने लाल की अंतिम झलक पाने के लिए आतूर दिखे। जो सुधीर का चेहरा देखता वह अपने आंखों के आंसू को नहीं रोक पा रहा था। जबकि पत्नी जब शव के पास पहुंची तो वह बेहोश हो गई। परिवार के अन्य सदस्यों का भी हाल कुछ ऐसा ही था।