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तुलसी दास ने कण-कण को कराई ईश्वरत्व की अनुभूति

देवरिया : महाकवि तुलसी दास आग की दरिया में डूब कर उबरे थे और हमें अमृत का दरिया दे गए। तुलस

By Edited By: Published: Sun, 23 Aug 2015 10:59 PM (IST)Updated: Sun, 23 Aug 2015 10:59 PM (IST)

देवरिया : महाकवि तुलसी दास आग की दरिया में डूब कर उबरे थे और हमें अमृत का

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दरिया दे गए। तुलसी दास का सबसे बड़ा दान कण-कण में ईश्वरत्व की अनुभूति कराने में है। राम ने तुलसी दास का उद्धार किया था कि नहीं, यह विचारणीय हो सकता है, लेकिन तुलसी ने राम का नि:संदेह उद्धार किया।

रविवार को नागरी प्रचारिणी सभा में आयोजित तुलसी दास की जयंती समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए बभनान डिग्री कालेज के ¨हदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा. महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि व्यक्तित्व को मानने के दो रास्ते हैं। प्रथम यह कि उसका नाम ही न लिया जाए। दूसरा यह कि उसे देवता बना दिया जाए। आज तुलसी के साहित्य का अध्ययन बंद होता जा रहा है। यदि तुलसी का अध्ययन किया जाए तो निश्चित ही परि²श्य बदल जाएगा। राजकीय महिला महाविद्वालय देवरिया के पूर्व प्राचार्य दिवाकर प्रसाद तिवारी ने तुलसी को अत्यंत दुर्लभ व्यक्तित्व करार दिया। सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष परमेश्वर जोशी ने कहा कि तुलसी दास का साहित्य हमारे लिए अमूल्य निधि है। श्रीमती दुर्गा पांडेय ने कहा कि यह पूरी मानवता तुलसी की कृतज्ञ व ऋणी है। अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि तुलसी घर व समाज के बीच जीने की पद्धति हैं। प्राचार्य ¨सहासन पांडेय ने कहा कि तुलसी के काव्य की गति चहुंओर है। सभा के अध्यक्ष सुधाकर मणि त्रिपाठी ने तुलसी समारोह में आए सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। समारोह के संयोजक बृजेश पांडेय ने अतिथियों एवं आगंतुक लोगों को सहयोग देने के लिए आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन सभा के मंत्री इंद्र कुमार दीक्षित ने किया।

इस अवसर पर सदानंद दुबे, जयनाथ मणि त्रिपाठी, भृगुनाथ बरनवाल, गोपाल कृष्ण ¨सह रामू, जय प्रसाद, बलराम उपाध्याय, शरदेंदु मिश्र, कृष्ण प्रकाश मिश्र, अमित शर्मा, कुमार जितेंद्र,जगन्नाथ श्रीवास्तव, श्रीमती पांडेय, प्रेम कुमार अग्रवाल, आनंद कुमार बाजपेई, मंजू पांडेय, अवनीश मिश्र, हरेराम दीक्षित, दुर्गाधर द्विवेदी, बृजेश पांडेय एडवोकेट, वृद्धि चंद्र विश्वकर्मा, कामेश्वर पांउेय, विजय धर द्विवेदी, अटल कुमार बरनवाल, आशीष बरनवाल आदि समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे।


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