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बाटम..सर्वे अभी अपूर्ण, शासन को भेज दी रिपोर्ट

देवरिया : पंचायत चुनाव को लेकर शासन जहां गंभीर है, वहीं अधिकारी उदासीन हैं। ऐसे में पंचायतों में आर

By Edited By: Published: Thu, 23 Jul 2015 10:24 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2015 10:24 PM (IST)
बाटम..सर्वे अभी अपूर्ण, शासन को भेज दी रिपोर्ट

देवरिया : पंचायत चुनाव को लेकर शासन जहां गंभीर है, वहीं अधिकारी उदासीन हैं। ऐसे में पंचायतों में आरक्षण के लिए हो रहे रैपिड सर्वे अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही से पूरा होता नहीं दिख रहा है। हालांकि पंचायती राज विभाग ने शासन को रैपिड सर्वे कार्य पूर्ण होने की मौखिक सूचना भेज दी है, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। तीन विकास खंड को छोड़कर किसी ने अपनी सूची उपलब्ध नहीं कराई है। जब शासन ने सख्त रुख अख्तियार किया तो अधिकारियों ने आनन-फानन में कर्मचारियों को गांवों में भेजकर जैसे-तैसे सर्वे कार्य कराया। इससे जाहिर हो रहा है कि रैपिड सर्वे को लेकर अधिकारी कितने गंभीर हैं।

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जिले की 1191 पंचायतों में रैपिड सर्वे कार्य चल रहा है। इन ग्राम पंचायतों में रैपिड सर्वे कार्य कर 15 जुलाई को पंचायती राज विभाग को उपलब्ध कराना था, लेकिन जिले के 16 ब्लाकों में गौरीबाजार, भाटपाररानी और बैतालपुर ने सर्वे कार्य पूरा कर सूची उपलब्ध करा दिया है। शेष ब्लाकों की बात करें तो वह चाहे देवरिया सदर हो या भलुअनी सहित तेरह ब्लाकों ने सर्वे कार्य पूरा नही कर सके है, जिसके चलते विभागीय अधिकारियों की किरकिरी भी हो रही है। सदर विकास खंड के सरौरा, बरइठा, सिसवां की बात करें तो यहां भी लेखपाल अन्य कर्मचारियों के साथ सर्वे करने पहुंचे। अन्य गांवों के सर्वे भी भगवान भरोसे हुए हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार विकास खंड गौरीबाजार की 91 ग्राम पंचायतों की कुल जनसंख्या 242134 है, जिसमें पिछड़ी जाति के 168633 तथा अनुसूचित जाति के 37822 व जनजाति के 5157 है।

रैपिड सर्वे का कार्य पूर्ण हो चुका है। तीन ब्लाकों ने अपनी सूची उपलब्ध करा दी है। शेष ब्लाकों की सूची को कंपाइल किया जा रहा है। जो त्रुटियां थी उसकी आपत्तियां ले ली गई है। जिन ब्लाकों ने सूची नहीं दी है। उनको शीघ्र सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद भी ब्लाकों द्वारा सूची नहीं दी जा रही है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।'पंचायत चुनाव का बिगुल भले ही नहीं बजा है, लेकिन गांवों में राजनीति अपने अंतिम चरम की तरफ बढ़ने लगी है। गांवों में ही तैनात बीएलओ के ऊपर अब कुछ दावेदारों ने अंगुली भी उठानी शुरू कर दी है और इसकी शिकायत अधिकारियों के टेबल पर पहुंचाना शुरू हो गया है। साथ ही दावेदार एक-एक मतदाता को सहेजने में जुट गए हैं।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव सबसे कठिन माना जाता है। दावेदार से लेकर प्रशासन तक इसको गंभीरता से लेकर कार्य करता है। प्रशासन अपनी गोपनीय सूचना इकट्ठा करने में जुटा है। साथ ही आरक्षण की स्थिति जल्द स्पष्ट करने की तैयारी में भी प्रशासन है। माना जा रहा है कि अगस्त के पहले पखवारा में आरक्षण की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। साथ ही मतदाता सूची तैयार करने के लिए बीएलओ को भी जिम्मेदारी दे दी गई है। खास बात यह है कि इसमें अधिकांश शिक्षा विभाग के लोगों की ड्यूटी लगाई गई है। इसमें से कुछ शिक्षा मित्र भी है। शिक्षा मित्र तो उसी गांव के ही है और वहीं उनकी ड्यूटी भी बीएलओ के पद पर लगा दी गई है। इसको लेकर अब दावेदार गंभीर हो गए हैं। दावेदारों का कहना है कि जो बीएलओ गांव के ही है और उनको इसकी जिम्मेदारी दी गई है, वह निष्पक्ष काम नहीं कर रहे हैं। उनके परिजन दूसरे दावेदार के साथ रह रहे हैं और उन्हीं के इशारे पर मतदाता सूची तैयार की जा रही है। इसलिए गांव में ही तैनात बीएलओ को हटा दिया जाना चाहिए और बाहरी कर्मचारी को इसकी जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। इसकी शिकायत अब अधिकारियों तक पहुंचने लगी है। उप जिलाधिकारी भगवानदीन ने कहा कि यह गंभीर विषय है। जहां-जहां से शिकायत मिलेगी, वहां-वहां से तत्काल बीएलओ को जांच कर हटा दिया जाएगा। खंड शिक्षा अधिकारी विनोद तिवारी ने कहा कि हमसे सूचना मांगी गई थी। हमने लिस्ट तैयार कर दें दिया। ड्यूटी तो उप जिलाधिकारी कार्यालय से लगी है।


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