आपदा राहत के नाम पर धेला नहीं
देवरिया : दैवीय आपदा से बर्बाद हुई रबी की फसल का मुआवजा पाने के लिए किसान टकटकी लगाए हैं, ¨कतु उनका
देवरिया : दैवीय आपदा से बर्बाद हुई रबी की फसल का मुआवजा पाने के लिए किसान टकटकी लगाए हैं, ¨कतु उनका पुरसाहाल नहीं है। धरना-प्रदर्शन के बाद प्रशासन द्वारा कुछ गांवों में धन वितरित कर बाकी को आश्वासन की घुट्टी पिला उनकी पीड़ा भूल गया। जिम्मेदार से लगायत जनप्रतिनिधि तक गुहार लगा चुके लोगों के सब्र का बांध अब टूटता दिखाई दे रहा है।
मार्च में हुई बेमौसम बरसात व ओलावृष्टि से बर्बाद हुए किसान की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है। शासन द्वारा फसल के नुकसान के भरपाई की बात कही गई, ¨कतु समय बीतने के साथ ही प्रशासन द्वारा वे छले जा रहे हैं। खून पसीने की गाढ़ी कमाई नष्ट होने के बाद क्षतिपूर्ति की बाट जोह रहे हैं। कई जगह पर लोगों ने इस बात के लिए धरना-प्रदर्शन भी किया, ¨कतु उसका लाभ नजर नहीं आया। जिम्मेदारों ने इनकी बात को आश्वासन की घूंट पिलाकर शांत करने भर का प्रयास किया। क्षति का आंकलन करने के नाम पर सौदेबाजी भी करने की बात कही जा रही है। अपने हक की मांग के लिए जनप्रतिनिधि से लेकर हुक्मरानों की दर पर मत्था रगड़ चुके किसानों के सब्र का पैमाना अब छलकता नजर आ रहा है।
रुद्रपुर तहसील क्षेत्र के शिवकुमार यादव उर्फ नागा, वशिष्ठ गुप्ता, नितिन राव, जनार्दन तिवारी, विनोद तिवारी, राममनोहर यादव, दुखंती प्रसाद आदि का कहना है कि कछार के कुछ गांवों में चेक का वितरण होता देख अपनी बारी भी जल्द आने की उम्मीद बंधी थी, ¨कतु इंतजार काफी लंबा हो गया। सर्वे के नाम पर कुछ लोगों द्वारा सुविधा शुल्क की भी मांग की जा रही है। मानसून की धमक के साथ ही रोपनी की शुरूआत हो गई है ¨कतु धन की कमी आड़े आने की वजह से प्रभावित हो रही है। बरहज तहसील के अमरनाथ यादव, प्रदीप पांडेय, सतीश पांडेय, जगदंबा दुबे, रवि तिवारी, केशव पांडेय आदि का कहना है कि इस तहसील क्षेत्र में क्षतिपूर्ति की अभी तक बोहनी ही नहीं हुई है। ऐसी स्थिति में बेहाल किसान धान की फसल को लेकर भी असमंजस की स्थिति में हैं, जबकि हुक्मरान जल्द ही धन वितरण का हवाई दावा कर रहे हैं।