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यहां डाक्टर नहीं, 18 घंटे स्वीपर व चौकीदार चलाते हैं अस्पताल

देवरिया : प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने की बात कह रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

By Edited By: Published: Thu, 21 May 2015 11:00 PM (IST)Updated: Thu, 21 May 2015 11:00 PM (IST)

देवरिया : प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने की बात कह रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। ग्रामीण अंचलों के अस्पतालों में चिकित्सक, फार्मासिस्ट, वार्ड ब्वाय समेत सभी कर्मचारियों की तैनाती है, लेकिन उनके समय से अस्पताल न आने के चलते चौबीस घंटे में से 18 घंटे लोगों की सेवा की जिम्मेदारी चौकीदार व स्वीपर के कंधों पर है। मरीजों के मरहम पट्टी करने से लेकर जिला अस्पताल तक भेजने की जिम्मेदारी वे ठीक से निभा रहे हैं।

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गुरुवार को जागरण टीम ने ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों का हाल जाना। खुखुंदू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर साढ़े आठ बजे चौकीदार परिसर में झाडू लगा रहा था। कुछ देर बाद वह परिसर में ही अपनी गाय के लिए डाली झोपड़ी में पहुंचा और गाय को चारा डालकर वापस आकर झाड़ू मारने लगा। उसने बताया कि डाक्टर साहब व फार्मासिस्ट कुछ ही देर में अस्पताल आ जाएंगे। एएनएम भी नहीं रहती हैं। गर्भवती महिलाओं को दूसरे अस्पतालों में जाना पड़ता है। इसी बीच एक मरीज आया और चोट पर मरहम लगाने की बात कही। चौकीदार तत्काल उसे कक्ष में ले गया और मरहम-पट्टी कर दिया। उसने बताया कि इंजेक्शन लगाने से लेकर मरहम पट्टी करने तक की जिम्मेदारी उसी की रहती है, क्योंकि रात्रि विश्राम कोई नहीं करता है। यही हाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पड़री का भी था। वहां भी एलटी को छोड़ सवा नौ बजे तक सभी गायब थे। स्वीपर ने बताया कि डाक्टर साहब थोड़ी देर से आते हैं। मरहम-पट्टी व इंजेक्शन मैं ही लगाता हूं। यही हाल आदर्श सांसद गांव योजना में चयनित गांव पयासी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चेरो का भी है। यहां भी रात्रि में न तो चिकित्सक रहते हैं और न ही कोई कर्मचारी। लोगों को अन्य अस्पतालों पर पहुंच कर अपना उपचार कराना पड़ता है। इस बाबत अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा.एसएन ¨सह ने कहा कि यह गंभीर विषय है। इसकी जांच कराई जाएगी। साथ ही दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

- घास व झोपड़ी से पटा है अस्पताल

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुखुंदू की स्थिति काफी खराब है। गेट पर इंडिया मार्का टू हैंडपंप तो है, लेकिन जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। भवन के पीछे गंदगी का अंबार है। हर तरफ घास ही दिखती है। इसके अलावा चौकीदार द्वारा अस्पताल परिसर में ही तीन-चार झोपड़ियां डाली गई हैं। उसमें उसकी गाय रहती हैं और कंडा चारों तरफ रखा हुआ है। वह अस्पताल तो नहीं, लेकिन कूड़ादान की ढेर में जरूर दिखता है।

- जर्जर आवास के चलते नहीं रुकते चिकित्सक

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पड़री बाजार में सबकुछ तो है, लेकिन वहां चिकित्सक का कमरा काफी जर्जर हो गया है। कोई भी चिकित्सक वहां पर रहने से कतराता है। पानी के लिए लगी टंकी भी बेकार साबित हो रही है। अस्पताल गेट पर लगा इंडिया मार्का टू हैंडपंप भी दूषित जल दे रहा है। लेबर रूम गेट पर ही शौचालय की टंकी टूटी पड़ी है, जिसके चलते वहां कभी भी बड़ा हादसा होने की संभावना है। अधीक्षक डा.सुरेंद्र ¨सह ने कहा कि चिकित्सक के भवन व टूटी टंकी को दुरुस्त करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।

- जबरिया वसूला जाता है पैसा

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पड़री बाजार में एएनएम द्वारा प्रसव कराया जाता है। गुरुवार को क्षेत्र की मुजुरी निवासी आशा पत्नी भोरिक यादव प्रसव के लिए आई। उसको बेटी पैदा हुई। इसके बाद एएनएम ने उससे एक हजार रुपये की मांग की। उसने पांच सौ रुपये दिए तो एएनएम ने गुस्से में वह पैसा लौटा दिया। सौ रुपये बढ़ाकर देने के बाद एएनएम ने पैसा ले लिया। अधीक्षक डा.सुरेंद्र ¨सह ने कहा कि इसकी भी जांच कराई जाएगी।


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