छाछ भी फूंक कर पी रहा पुलिस महकमा
देवरिया : कहते हैं कि दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है। ऐसा ही कुछ हाल पुलिस महकमे का है। सें
देवरिया : कहते हैं कि दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है। ऐसा ही कुछ हाल पुलिस महकमे का है। सेंट्रल बैंक से करोड़ों की चोरी में विभागीय कर्मचारी की संलिप्तता उजागर होने के बाद पुलिस के उच्चाधिकारी खाकी की खोई साख फिर हासिल करने की जुगत में हैं। इसी का परिणाम है कि पुलिस कर्मियों को जिम्मेदार व महत्वपूर्ण पद देने से पहले उनका अतीत टटोला जा रहा है। इस बात की पुष्टि करते पुलिस अधीक्षक डा.मनोज कुमार ने कहा कि यह कदम डीजीपी के निर्देश पर उठाया गया है।
पुलिस महकमे में पद हथियाने का खेल नया नहीं है। मनचाही तैनाती वह मलाइदार पद हथियाने का खेल पहले भी सुर्खियों में रहा है। इस खेल का ही परिणाम है कि जिले की करौंदी, हेतिमपुर, मेहरौना, महुआडीह, कपरवार घाट आदि चौकी पर तैनाती के लिए पुलिस कर्मियों के बीच जंग छिड़ी रहती है। ऐसी ही होड़ में वह लोग भी लगे हैं जो थाने की बागडोर संभालने के लिए ललायित हैं। कहा जाता है कि मन की मुराद पूरी होने की राह में यदि रोड़ा आता है, तो उसे सफेदपोशों की मदद से दूर किया जाता है। मलाइदार चौकियों पर पदों के सापेक्ष अधिक कर्मचारियों की तैनाती इस बात को प्रमाणित करती है। सेंट्रल बैंक में चोरी की वारदात उजागर होने के बाद से ही महकमें के उच्चाधिकारी घटना के असल कारणों की तलाश में जुट गए। सूत्रों की मानें तो उच्चाधिकारियों को यह समझते देर नहीं लगी कि पर्दे के पीछे चलने वाले इसी खेल से खाकी की साख पर बट्टा लग रहा है। इस बावत पुलिस अधीक्षक डा.मनोज कुमार ने कहा कि ऐसे निरीक्षक, उपनिरीक्षक व पुलिस कर्मियों को चिन्हित कर लिया गया है, जो दागी हैं। अनुशासन तोड़ने व आपराधिक मामले में लिप्त कर्मचारियों को जिम्मेदार पद कतई नहीं मिलेंगे। उन्होंने कहा कि जिले में तैनात छह निरीक्षक व सात उपनिरीक्षक ऐसे हैं, जिन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती। इनके अलावा 31 मुख्य आरक्षी व 60 सिपाही ऐसे चिन्हित हुए हैं जिन पर गंभीर आरोप हैं। असलहे के साथ इनकी तैनात नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि बैंक की चोरी में बर्खास्त सिपाही श्रीप्रकाश ¨सह के भूमिका की पुष्टि के बाद कर्मचारियों की तैनाती में बेहद सतर्कता बरती जा रही है।