मुस्तफा पर मौसम मेहरबान
देवरिया : देवरिया जनपद के भाटपाररानी में एक व्यक्ति ऐसा भी है, जो जाड़ा, गर्मी व बरसात कभी भी अपने त
देवरिया : देवरिया जनपद के भाटपाररानी में एक व्यक्ति ऐसा भी है, जो जाड़ा, गर्मी व बरसात कभी भी अपने तन पर वस्त्र नही पहनता। ऐसा नही कि वह साधु-सन्यासी या अतिनिर्धन है। यह सामान्य व्यक्ति होते हुए तीन दशक से कपड़ा नही पहनता। कमर में सिर्फ तौलिया ही प्रयोग करते है। कड़ाके की ठंड में भी उन्हें नंगे बदन घूमते देख लोग हैरत में पड़ जाते हैं। वो गरीबी में जरूर हैं लेकिन गरीबों की मदद करने से नही चूकते। मजदूरी से जो भी कमाई होती है उसे गरीबों की मदद करते हैं।
बात हो रही है भाटपाररानी के लिटिहा वार्ड निवासी मुस्तफा अंसारी पुत्र अकलू की। मुस्तफा मन से गरीब, लेकिन दिल के बड़े हैं। गरीबों की मदद उनका शगल है। वे आटा चक्की पर तीन हजार रुपये प्रतिमाह कमाते हैं, जिसमें एक हजार रुपये जरूरतमंदों पर खर्च कर देते हैं। कहते हैं कि मुझसे लोगों की गरीबी नहीं देखी जाती। दो जून की रोटी के अलावा मुझे कुछ नहीं चाहिए।ऊपर वाले की मेहरबानी भी उन पर खूब है। दस वर्ष से वह कभी भी बीमार नहीं पड़े। उपनगर के लोग उन्हें मुस्तफा भाई के नाम से जानते हैं। दो भाइयों में छोटे मुस्तफा आज समाज को सिर्फ देने का कार्य कर रहे हैं। गरीबों की मदद की छोटी पहल को अब लोग सलाम करने लगे हैं। उनका यह जुनून अभी आगे बदस्तूर जारी है। तीन दशक से वर्ष में मात्र दो दिन नया वस्त्र पहनते हैं और उसे गरीबों में दान दे देते हैं। यह खास दिन ईद व बकरीद का है, जिसमें नया वस्त्र पहनना मजबूरी है। वह ¨हदू-मुस्लिम एकता की डोर को भी मजबूत करने का काम भी कर रहे हैं। उन्हें जितना सम्मान मुस्लिम विरादरी के लोग देने हैं उससे अधिक ¨हदुओं का स्नेह मिलता है। होली के दिन वह पूरा दिन बधाई देने में खर्च करते हैं। होली के दिन लोगों को भी मुस्तफा भाई का इंतजार रहता है। उपनगर में कहीं भी सद्भाव की बात आती है, तो वह लोगों को अपने तरीके से समझाने का कार्य करते हैं। उनका वस्त्र न पहनना लंबे समय से चर्चा में है। हालांकि यह उन्हें ठंड क्यों नहीं लगती, यह लोग भी नहीं समझ पाते।