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राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है हिंदी

By Edited By: Published: Sun, 14 Sep 2014 09:23 PM (IST)Updated: Sun, 14 Sep 2014 09:23 PM (IST)

देवरिया : चेन्नै के डा.शौरिराजन ने कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है। महात्मा गांधी ने दक्षिण भारत जाकर हिंदी का प्रचार किया था। उसे हम आगे बढ़ा रहे हैं। अभी तक हिंदी का राष्ट्रभाषा न होना देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। उक्त बातें रविवार को हिंदी दिवस के अवसर पर नागरी प्रचारिणी सभागार में नागरी रत्‍‌न से सम्मानित श्री राजन ने कही।

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बंगलोर की बीएस शांताबाई ने कहा कि संपूर्ण भारत में हिंदी का वातावरण होना चाहिए। देश को हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्जा देना होगा, तभी राष्ट्रीय एकता संभव होगी। नागरी भूषण सम्मान से सम्मानित लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डा.कैलाश देवी सिंह ने कहा कि जब देश गुलाम था तो हिंदी आजाद थी और जब देश आजाद हुआ तो हिंदी गुलाम हो गई।

नागरी श्री सम्मान से सम्मानित कमल नयन चतुर्वेदी ने कहा कि मुंबई फिल्मी दुनिया के लोग अंग्रेजी बोलते हैं, लेकिन मैं हिंदी एवं भोजपुरी में बात करता हूं। हिंदी का विरोध केवल राजनीतिक कारणों से है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। बरहज आश्रम से पधारे आंजनेयदास ने कहा कि हिंदी संतों एवं भक्तों की भाषा है, जिसका भविष्य निश्चित ही उज्ज्वल है। नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती अलका सिंह ने कहा कि हमें हिंदी के विकास के लिए स्वयं में बदलाव लाना होगा। हमें हिंदी भाषा पर गर्व होना चाहिए।

मुख्य अतिथि गोरखपुर की महापौर डा.सत्या पांडेय ने कहा कि अंग्रेजी ने हमारी संस्कृति और सभ्यता को नष्ट किया है। यदि हिंदी को उचित सम्मान नहीं मिला तो मानसिक रूप से हम गुलाम बने रहेंगे। नागरी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष सुधाकर मणि त्रिपाठी ने सभी अतिथियों को सम्मानित किया एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता की। संचालन मंत्री सरोज कुमार पांडेय ने किया।

इस अवसर पर परमेश्वर जोशी, इंद्र कुमार दीक्षित, वृद्धिचंद्र विश्वकर्मा, शांति स्वरूप दुबे, जयनाथ मणि, कुमार जितेंद्र, गोपाल कृष्ण सिंह रामू, सतीश पति त्रिपाठी, हरिनाथ प्रसाद, कन्हैयालाल गुप्त, विजय प्रसाद, भृगुनाथ प्रसाद बरनवाल आदि उपस्थित रहे।

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हिंदी की ऊंचाई के लिए बनना होगा भगीरथ

देवरिया : हिंदू जागरण मंच व आरोग्य भारती की बैठक सिंगही स्थित विभाग कार्यालय पर हुई। विभागाध्यक्ष डा.अजीत नारायण मिश्र ने कहा कि हिंदी को पूर्णतया स्थापित करने के लिए भगीरथ जैसा प्रयास करना होगा। कार्यक्रम में राज्य अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित अमरेंद्र शर्मा को सम्मानित किया गया।

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सरकार हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए

जागरण संवाददाता, देवरिया : अधिवक्ताओं की बैठक रविवार को पूर्व अध्यक्ष सुभाष चंद्र राव की अध्यक्षता में नेहरू नगर स्थित कैंप कार्यालय में हुई। बैठक में हिंदी को पूरे देश की भाषा बनाने की मांग की गई।

हिंदी विधि प्रतिष्ठान के सचिव नीतेंद्र नाथ त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी की वकालत जनता से अधिक सरकार को करनी होगी। दिमाग से अंग्रेजी को नकारें। हिंदी से बच्चे का उत्थान करने की बात सोचें।

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हिंदी को सरल व अनुशासित बनाने की जरुरत

जागरण संवाददाता, बरहज/देवरिया : नगर के पैना रोड स्थित हिंदी साहित्य परिषद में रविवार को हिंदी दिवस पर गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें वक्ताओं ने हिंदी को सरल और अनुशासित बनाने पर जोर दिया।

बाबा राघवदास भगवानदास स्नातकोत्तर महाविद्यालय आश्रम बरहज के पूर्व प्राचार्य राजनारायण पाठक ने कहा कि हिंदी भारत की भाषा है। इसमे से राष्ट्रवाद झलकता है। आमजन की भाषा तभी बन सकती है जब इसे और सरल तथा अनुशासित बनाया जाए। बालकृष्ण पांडेय ने कहा कि कार्य व व्यवहार में अंग्रेजी का बढ़ता चलन ही हिंदी के विकास में बाधक है। हमें कार्य व व्यवहार में हिंदी को लाना होगा।


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