आनलाइन सिस्टम पर भी दलाल काट रहे चांदी
देवरिया : एआरटीओ कार्यालय में शासन का फरमान बेअसर साबित हो रहा है। कार्यालय का सिस्टम भले ही आनलाइन कर दिया गया है, बावजूद इसके सिस्टम पर दलालों का कब्जा है। अधिकारी व कर्मचारी का पता नही, प्राइवेट कर्मियों के सहारे पैसा दीजिए काम कराइए, की तर्ज पर धड़ल्ले से काम चल रहा है।
गुरुवार को जागरण टीम गोरखपुर मार्ग के पुरवा स्थित एआरटीओ कार्यालय पहुंची। दोपहर 1.50 बजे दफ्तर के बाहर व अंदर काफी भीड़ थी। एआरटीओ की कुर्सी खाली थी। शासन का निर्देश है कि दस से बारह अधिकारी दफ्तर में रहेंगे बावजूद अधिकारियों व कर्मचारियों पर इसका असर नही दिखा। लाइसेंस बाबू के कक्ष में ताला लटक रहा था। कक्ष के बाहर चार-पांच बिचौलिए कागजात लेकर इधर-उधर कर रहे थे। इसी बीच कक्ष का ताला खुला, अंदर दो प्राइवेट कर्मी काम करते दिखे। बगल के बरामदे में लाइसेंस के लिए आवेदकों की फोटो खींची जा रही थी। लोग अपने काम के चक्कर में परेशान थे, लेकिन अखबार वालों से बात करने से कतरा रहे थे कि नाम छप गया, तो काम नही हो पाएगा।
टीम ने कैश काउंटर, पंजीकरण व डीवीए कक्ष की ओर पहुंची। यहां भी वही हाल रहा। कोई बाबू नही था, बल्कि उनके द्वारा लगाए गए प्राइवेट लोग काम कर रहे थे। अंदर भी भीड़ थी।
परमानेंट लाइसेंस की सरकारी फीस 300 रुपये है, लेकिन लोगों से 750 रुपये वसूले जाते हैं। लर्निंग लाइसेंस की सरकारी फीस 70 रुपये है, लेकिन लोगों से साढ़े तीन सौ रुपये तक वसूले जाते हैं। पुराने लाइसेंस को कार्ड में कनर्वट कराने के लिए 200 रुपये निर्धारित शुल्क है, जबकि लोगों से पांच सौ रुपये लिए जाते हैं।
एआरटीओ ओपी सिंह कहते हैं कि गोरखपुर में मीटिंग थी इसलिए हम गोरखपुर आ गए थे। लाइसेंस बाबू के दफ्तर में ताला के सवाल पर बोले मीटिंग में अभिलेख ले जाना था इसलिए बाबू को भी साथ लेकर चला आया था। लोगों को दिक्कत न आए इसके लिए वहां विभाग के लोगो को तैनात किया गया था।