मीनू ठेंगे पर, तहरी की जगह खिचड़ी
देवरिया : परिषदीय स्कूलों में मिड-डे-मील में मीनू का पालन किए जाने का सरकारी आदेश बेअसर साबित हो रहा है। लाख कवायद के बाद भी प्रधान व प्रधानाध्यापक बच्चों को तहरी की जगह सिर्फ खिचड़ी देकर ही काम चला रहे हैं। यह कार्य एक दिन नहीं बल्कि पूरे हफ्ते चल रहा है, जिससे शासन की मीनू के अनुसार बच्चों को मिड-डे-मील उपलब्ध कराने की मंशा पर पानी फिर रहा है।
सूत्रों के अनुसार जिले के कुछ विद्यालयों में जहां नौनिहालों को तहरी की जगह खिचड़ी दी जा रही है वहीं कई जगह करी चावल के स्थान पर खिचड़ी परोसी जा रही है। जबकि मीनू के हिसाब से बुधवार को बच्चों को कढ़ी चावल देना है। इसी तरह शुक्रवार को मीनू के तहत तहरी देने का प्राविधान है, लेकिन बच्चों को इसकी जगह भी खिचड़ी ही दी जा रही है जो मीनू के विरुद्ध है।
मजे की बात तो यह है कि तहरी में चावल के साथ-साथ बच्चों को आलू, सोयाबीन व समय-समय पर उपलब्ध मौसमी सब्जियां भी दिया जाना है, ताकि बच्चों को पौष्टिक खाना मिल सके। लेकिन पैसा बचाने के चक्कर में बच्चों को खिचड़ी खिलाकर काम चलाया जा रहा है। वह भी सब्जियों की मात्रा का प्रयोग कम करके।
गौरतलब है जिले के लगभग 25 से 30 फीसद विद्यालय ऐसे है जहां मीनू का पालन ही नहीं किया जाता है। जबकि इन विद्यालयों को मिड-डे-मील के लिए पर्याप्त खाद्यान्न व कर्न्वजन कास्ट उपलब्ध कराया जाता है।
ये है मीनू
सोमवार-रोटी सब्जी या दाल
मंगलवार-चावल-दाल
बुधवार-कढ़ी चावल
गुरुवार- रोटी के साथ सब्जीयुक्त दाल
शुक्रवार- मौसमी सब्जियों के साथ तहरी
शनिवार-सब्जी-चावल
''समस्त खंड शिक्षाधिकारियों को विद्यालयों में मीनू के अनुसार मिड-डे-मील सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जा चुका है। साथ ही कहा गया है कि खाद्यान्न व कन्वर्जन कास्ट के बावजूद भी जिन विद्यालयों में मीनू के अनुसार भोजन बनते नहीं पाया जाय तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाय। प्रधानाध्यापकों को भी निर्देशित किया गया है कि वह एमडीएम बनने से पूर्व एक इस बात की जांच कर लें कि भोजन में कही खुले तेल, मसाले तथा बिना आयोडीन वाले नमक का तो प्रयोग नहीं हो रहा, क्योंकि इससे बच्चों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में इन सभी बातों का ध्यान रखना अनिवार्य है।''
-डी.पी. सिंह
जिला समन्वयक, मिड-डे-मील