ईद की बहार पर महंगाई की मार
देवरिया : माह-ए-रमजान के अलविदा की नमाज के बाद बाजारों में ईद की रौनक दिखाई देने लगी है। सेवईयां, कपड़े व खासतौर से रंग -बिरंगी टोपियों की दुकानें सज गई हैं। दुकानों पर ग्राहकों की चहलकदमी भी बढ़ गई है, लेकिन महंगाई के बोझ से दबे बाजार में दुकानदार व खरीदार दोनों कराह रहे हैं। हालांकि व्यवसाई इस उम्मीद में हैं कि भले ही महंगाई बढ़ी है, ईद से पहले अच्छी दुकानदारी होगी।
रमजान के पाक महीने में एक माह तक रोजा रखने के बाद मनाए जाने वाले ईद के त्यौहार के लिए मुस्लिम समुदाय के घर-घर में विशेष तैयारियां की जाती हैं। ईद से पहले बाजार में सजकर तैयार हो जाता है। इस बार भी अलविदा की नमाज के बाद ईद के लिए बाजार सजकर तैयार है। एक तरफ बनारसी सेवइयां धूम मचा रही है, तो दूसरी तरह लखनऊ के चिकन की कारीगरी लोगों को भा रही है। कलकत्ते व दिल्ली की डिजाइनदार फैंसी टोपियां भी खूब लुभा रही हैं। माह भर रोजा रखने के दौरान रोजेदारों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला खजूर भी दस वेरायटी में बाजार में मौजदू हैं, लेकिन महंगाई की मार से बाजार कराह रहा है। सेवई की दुकान चलाने वाले अमरुल्लाह कहते हैं कि पिछले साल के मुकाबले इस बार रेट में 10 से 15 रुपये का अंतर आया है। बनारस से मंगाई जाने वाली किमामी, लक्षा व सुतफेनी की मांग तो है, लेकिन महंगाई के चलते बिक्री कम हो रही है। ईद तक बिक्री अच्छी होने की उम्मीद है। 30 से 100 रुपये किग्रा तक की सेवाइयां उपलब्ध हैं।
वहीं खजूर की दुकान चलाने वाले बिट्टू कहते हैं कि 10 वेरायटी में माल उपलब्ध है। 100 से 500 रुपये किग्रा तक बिकने वाले खजूर हैं, लेकिन लोग जरुरत के हिसाब से खरीदारी कर रहे हैं। कपड़े की दुकानों पर भी चिकन के कुर्ता-पायजामा की मांग है, लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में बीस से तीस फीसद तक कीमत में बढ़ोतरी हुई है। कुल मिलाकर महंगाई ने बाजार को पूरी तरह जकड़ लिया है, जिसके चलते रोजेदार भी खासे परेशान हैं।
महंगाई से बेजार, बिजली भी रुला रही
भीषण गर्मी के बीच माह भर रोजा रखने वाले रोजेदार बिजली की आपूर्ति व्यवस्था को लेकर खासे व्यथित हैं। एक तरफ महंगाई ने रोजेदार को बेजार कर दिया है, तो दूसरी तरफ बिजली रुला रही है। स्टेशन के निकट अबूबकरनगर उत्तरी के पश्चिमी हिस्से में लोगों को बूंद भर पानी भी नसीब नहीं हो रहा है। अबूबकनगर निवासी रोजेदार कमरुल बारी कहते हैं कि महंगाई बढ़े लेकिन एक औसत होनी चाहिए। यहां तो कोई पूछने वाला ही नहीं है। महंगाई की आग में बाजार झुलस रहा है। अनवारुल हसन चंचल कहते हैं कि बिजली कटौती के कारण पानी का भी संकट हो जाता है। सहरी व इफ्तार के समय ही बिजली गायब हो जाती है। नपा की जलापूर्ति का भी कोई हिसाब नहीं है। मो.ताहिर महंगाई का जिक्र करते हुए कहते हैं कि त्यौहार मनाना है तो खरीदारी करनी ही पड़ेगी, लेकिन जरूरी सामानों की कीमतों में रियायत हो जाए, तो गरीब तबके के लिए आसानी रहेगी। नसीम अहमद मोहल्ले में जलापूर्ति को लेकर व्यथित हैं। उनका कहना है कि बिजली न रहे तो पानी भी नहीं मिलेगा। कारण कि नपा के आपूर्ति का पानी उत्तरी अबूबकरनगर के पश्चिमी हिस्से में कभी पहुंचता ही नहीं और किसी जिम्मेदार ने कभी इसकी सुधि भी नहीं ली। रोजेदार कमर चिश्ती भी पुराने दिनों को याद कर बाजार पर महंगाई की मार की बात कहते हैं।