देख रहे अफसर, खाक हो रहा अशियाना
जागरण संवाददाता, देवरिया : पथरदेवा व बघौचघाट क्षेत्र में गत एक सप्ताह के अंदर लगभग तीन दर्जन स्थानों पर आग लगने से रिहायशी झोपड़ियां व मवेशी जल गए। सरकार द्वारा अग्निकांडों पर काबू पाने के लिए जिला मुख्यालय व तहसील मुख्यालयों में फायर ब्रिगेड की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। पथरदेवा व बघौचघाट जिला मुख्यालय से लगभग 40 से 50 किमी कुशीनगर जनपद व बिहार की सीमा पर है। क्षेत्र में फायर ब्रिगेड की स्थापना न होने से अफसर देखते रह जाते है और गरीबों का आशियाना जलकर खाक हो जाता।
पिछले सप्ताह क्षेत्र के तिरमासाहुन में 12 घर, कौला मुंडेरा में 19 घर, मलवाबर के मलसी छह घर खाक हो गए। इसी प्रकार 2013 में मलवाबर बनरही में 42 घर, 2009 में कोयरी पट्टी में साठ घर, 2007 में रामनगर के दलित बस्ती में 24 घर, 2003 में सखनी में 45 घर, 2006 में कोटवा मिश्र में 26 घर व आठ एकड़ गेहूं की फसल, 2001 में मलवाबर के मल्लाह टोला में 35 घर आनंदनगर में 99 घर समेत अब तक सैकड़ों घर जल गए, लेकिन मौके पर फायर ब्रिगेड नहीं पहुंच सका। इस मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने अनेक बार प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन पथरदेवा या बघौचघाट में फायर ब्रिगेड की स्थापना नहीं हुई।
ब्लाक प्रधान संघ अध्यक्ष रामबेलास यादव, देवघाट के कृषक जितेंद्र धर द्विवेदी, शिक्षक अलाउद्दीन, मलवाबर के ग्राम प्रधान वाचस्पति तिवारी व आनंदनगर के ग्राम प्रधान विधाता पांडेय ने कहा कि क्षेत्र में फायर ब्रिगेड की स्थापना न होने से प्रतिवर्ष सैकड़ों की संख्या में रिहायशी घर खाक हो रहे हैं फिर भी प्रशासन मौन साधे हुए है। इस संबंध में जिलाधिकारी मणि प्रसाद ने कहा कि यह मेरे संज्ञान में है। इस क्षेत्र का रास्ता भी खराब है सीमित संसाधन हैं। फिर भी शीघ्र इसकी व्यवस्था की जाएगी।