लोक संस्कृति की झलक से सिमट गया लघु भारत
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : ग्रामोदय मेला में देश के अनेक प्रदेशों की लोक संस्कृति की झलक लोगों को द
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : ग्रामोदय मेला में देश के अनेक प्रदेशों की लोक संस्कृति की झलक लोगों को देखने को मिली। विभिन्न प्रदेश से आए लोक कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुति से सभी को लुभाने का काम किया।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र नई दिल्ली देश के विभिन्न राज्यों के 250 से अधिक कलाकार ग्रामोदय मेला में आए हैं। जिन्होंने शाम को अनूठी प्रस्तुति ग्रामोदय मेला में दी।जिसको देखने के लिए देर रात तक लोग गुलाबी ठंड के बीच डटे रहे। उनकी प्रस्तुति से ऐसा लग रहा था जैसे प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में लघु भारत सिमट गया है। कलाकारों ने अपने राज्यों की संस्कृति और परंपरा के अनुसार वस्त्र पहनकर ऐसे लोकनृत्य प्रस्तुत किए कि लोग टकटकी लगाकर देखते रह गए। हिमांचल प्रदेश से आए कलाकारों ने महाभारत युद्घ पर आधारित लोकनृत्य ठोडा की प्रस्तुति दी। कौरव और पांडव दल में विभक्त इस झलकी में धनुष-बाण, फरसा, कटार और ढोल नगाड़े का अनूठा चित्रण पेश किया गया। सागर से आई महिला कलाकारों ने लोकरंग बधाई नृत्य और चित्रकूट के कलाकारों ने लोकनृत्य राई, कोलहाई व कर्मा प्रस्तुत किया। सागर की कलाकार निशा ने बताया कि यह लोकनृत्य शादियों एवं खुशी के अवसर पर किए जाते हैं। छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों से आये कलाकारों ने रामनामी, पंडवानी, नाचा और पंथी गायन की प्रस्तुतियां दी, जिसमें उन्होंने वहां की संस्कृति को अपने नृत्य के माध्यम से पेश किया। उतराखंड के कलाकारों ने हिलजामा की प्रस्तुति देकर सबका मन मोह लिया। केरल के कलाकारों ने पुलीकली टाइगर और कुमाठी का चित्रण पेश किया।