संतों ने की रसिन गौशाला में रिसीवर बैठाने की मांग
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : शेषनारायणाचार्य ने वृंदावन के संतों के साथ जिलाधिकारी से मुलाकात कर श्री
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : शेषनारायणाचार्य ने वृंदावन के संतों के साथ जिलाधिकारी से मुलाकात कर श्री गोपाल गौशाला आदर्श संस्कृत महाविद्यालय रसिन पर अपना अधिकार बताया है। उन्होंने कहा कि यह गौशाला उनके नाम थी लेकिन नाबालिग में ही उनके नाम को गलत तरीके से काट कर कब्जा कर लिया गया है। उन्होंने सबसे बड़ी गौशाला को लोगों को चंगुल से मुक्त करने की मांग करते हुए कहा है कि जब तक जांच होती है इसमें सरकार का रिसीवर बैठा दिया जाए। वैसे डीएम ने पूरे मामले को गम्भीरता से लेते हुये तत्काल अपर जिलाधिकारी को इस प्रकरण की जांच करने के आदेश दे दिये हैं।
शेषनारायणाचार्य ने बताया कि श्रीगोपाल गौशाला एवं आदर्श संस्कृत महाविद्यालय रसिन में 2700 बीघा जमीन है। इसके संस्थापक पं. शम्भू प्रसाद त्रिपाठी जिनके कोई संतान नहीं थी। उन्होंने अपना समस्त जीवन गौसेवा एवं धर्मार्थ कार्यो में लगा रखा था। उन्होंने इस जमीन को और संस्था को जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी कमलनयनाचार्य चेला श्री रामानुजाचार्य विराजमान ठाकुर हरदेव जी महाराज श्रीधाम वृन्दावन के नाम दानपत्र रजिस्ट्री की थी। वर्ष 1969 में स्वामी कमलनयनाचार्य ने इस संस्था का उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। उस समय उनकी आयु मात्र 9 वर्ष की थी। कमलनयनाचार्य का देहावसान होने पर संस्था की जमीन पर उनका नाम सरकारी अभिलेखों में दर्ज हो गया था लेकिन उनके नाबालिग होने के कारण संस्था पर जबरन कब्जा कर लिया गया और अभिलेखों से उनका नाम काटकर अपना नाम दर्ज करा लिया गया। इस कूट रचना में दो लेखपाल निलम्बित भी हो चुके हैं। उन्होंने जिलाधिकारी से कहा कि अदालत का फैसला आने तक रिसीवर नियुक्त करके मामले की सीबीआई जांच कराई जाय। इस पर जिलाधिकारी ने पूरे मामले को ध्यान से सुनकर एडीएम को प्रकरण की जांच करने के आदेश दिये हैं।