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'विश्व के अनुकरणीय श्रीराम का चरित्र'

चित्रकूट, जागरण संवाददाता : भारतीयता व एकात्मवाद के अनुष्ठान राष्ट्रीय रामायण मेला का शनिवार की शाम

By Edited By: Published: Sun, 22 Feb 2015 01:13 AM (IST)Updated: Sun, 22 Feb 2015 01:13 AM (IST)
'विश्व के अनुकरणीय श्रीराम का चरित्र'

चित्रकूट, जागरण संवाददाता : भारतीयता व एकात्मवाद के अनुष्ठान राष्ट्रीय रामायण मेला का शनिवार की शाम समापन हो गया। रात में हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में मुख्य आकर्षण कंबोडिया की रामलीला रही। पांच दिवसीय मेला का समापन इंदौर के पीठाधीश्वर स्वामी मनोहरपुरी महराज ने किया।

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42 वें राष्ट्रीय रामायण मेला का समापन करते हुए स्वामी मनोहरपुरी महराज ने कहा कि राम संपूर्ण भारतीय संस्कृति एवं जन-जन में व्याप्त हैं। भगवान राम के नाम का प्रयोग अभिवादन से लेकर मृत्युपर्यन्त लिया जाता है। श्रीराम के संपूर्ण जीवनदर्शन को चित्रित करके गोस्वामी तुलसीदास जी भी अमर हो गए। भारतीय संस्कृति का मूलाधार ही राम का चरित्र है। अध्यक्षता करते हुए हाईकोर्ट इलाहाबाद के न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला ने कहा कि श्रीराम का आदर्श चरित्र आज विश्व के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने रामायण मेले की सराहना की। समापन सत्र का संचालन करते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार डा. चन्द्रिका प्रसाद दीक्षित 'ललित' ने रामकथा में भगवान श्रीराम स्वरूप की विविध अवधारणाओं पर विचार प्रकट करते हुये कहा कि भगवान राम हमें मानव, ईश्वर, ब्रह्म तीनों रूपों में दिखाई पड़ते है। इस अवसर पर जिलाधिकारी नीलम अहलावत, सासद भैरों प्रसाद मिश्र, नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती नीलम करवरिया, डा. घनश्याम अवस्थी, प्रद्युम्न दुबे (लालू), भालेन्दु सिंह, हरवंश प्रसाद पाण्डेय, शिवमंगल मिश्र, घनश्याम दास मिश्र, मनोज मोहन गर्ग, ज्ञान चन्द्र गुप्ता, रामप्रकाश श्रीवास्वत, सूरज तिवारी, गोकुल पाण्डे, प्रिन्स करवरिया व सोनू मिश्रा आदि मौजूद रहे।

काम और राम के समन्वय से संस्कृति की परिपूर्णता

रामायण मेले की बौद्धिक गोष्ठी का संचालन करते हुये साहित्यकार डा. चंद्रिका प्रसाद दीक्षित 'ललित' ने कहा कि 'तन चढ़ता तो काम कहते तन ढलता तो राम-राम कहते। चित्रकूट के संत तुलसी की चेतना कामद के धाम आठों याम कहते।।' उन्होंने कहा कि चित्रकूट के कामदगिरि को संपूर्ण मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला कहा गया है। इसलिये इस पर्वत का नाम ही कामदगिरि है।

डा. सैय्यद मसर्रत परवेज रामपुर ने कहा कि हिन्दुस्तान में जितने भी धर्मो के लोग रहते हैं पहले वे हिंदू हैं तथा भारत में रहने वाले सारे हिंदू सनातन धर्म में हैं। डा. अवधेश शुक्ल भोपाल ने रामचरित मानस में राम के व्यक्तित्व की व्याख्या करते हुये कहा कि राम शक्ति, शील एवं सौन्दर्य से सम्पन्न हैं। डा. प्रतिभा शुक्ला, डा. सीताराम सिंह, डा. ओमप्रकाश शर्मा, संत रामाश्रे दास, डा. हरिप्रसाद आदि रहे।

कंबोडिया की रामलीला ने मोहा

रात्रिकालीन सास्कृतिक कार्यक्रम में मुख्य आकर्षण कंबोडिया की रामलीला रही। 12 विदेशी कलाकारों ने कंबोडिया शैली में रामकथा पर आधारित नृत्य नाटिका का मनोहारी प्रदर्शन किया। जिसमें भगवान श्रीराम द्वारा सीता जी का परित्याग, सीता जी की अग्नि परीक्षा, अश्वमेघ यज्ञ के पश्चात श्रीराम और उनके दोनों पुत्र लव-कुश का युद्ध आदि का मंचन किया गया। वहीं मेले में लगी प्रदर्शनी में वैसे तो पांचों दिन लोग खरीददारी करते दिखे लेकिन अंतिम दिन वहां पर बहुत ज्यादा भीड़ रही।


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