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तैयार करें बीज, हो जाएंगे मालामाल

चंदौली : अधिकांश किसान यही मानते हैं कि हर साल नया बीज बोने से उसे अच्छी पैदावार मिलेगी। पर वह अच्छी

By Edited By: Published: Mon, 24 Oct 2016 12:03 AM (IST)Updated: Mon, 24 Oct 2016 12:03 AM (IST)
तैयार करें बीज, हो जाएंगे मालामाल

चंदौली : अधिकांश किसान यही मानते हैं कि हर साल नया बीज बोने से उसे अच्छी पैदावार मिलेगी। पर वह अच्छी पैदावार के चक्कर में खेत की

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मिट्टी का स्वास्थ्य बिगाड़ लेता है। आर्थिक रूप से हानि भी उठाता

है। वहीं पैदा हुई फसल में छोटे-बड़े पौधों के कारण कई तरह के बीज उसमें शामिल हो जाते हैं। ऐसे में किसान यदि एक बीज को तीन साल चलाए तो उसे काफी लाभ होगा। वहीं सरकार ने भी फरमान जारी कर दिया है कि पंजीकृत किसान अब तीन साल में एक बार ही नया बीज ले पाएंगे। उन्हें तीन साल इसी बीज से काम चलाना होगा। पुराने बीजों की लुप्त हो रही प्रजातियां भी कृषि विभाग के इस निर्णय से बच जाएंगी।

नए बीज देने की बदली प्रक्रिया

पंजीकृत किसानों को सरकारी बीज केंद्रों से सब्सिडी पर गेहूं, धान, अरहर, मटर समेत अनेक बीज कई वर्षों से मिल रहे हैं। हर साल किसान इसका लाभ भी उठा रहे हैं। पर लुप्त हो रही बीजों की पुरानी प्रजातियों को सहेजने के लिए सरकार ने हर साल नए बीज देने की प्रक्रिया ही बदल दी है। किसान नए बीज से उगाई गई फसल से अपना बीज तैयार करेंगे। बीज शोधन के लिए कार्बंडाजिन की दवा बीज में छिड़ककर उसे उपचारित करके नया बीज तैयार करेंगे। किसान चाहे तो अपना तैयार किया गया ब ज दूसरे किसानों को भी बेच सकता है। क्योंकि दूसरी बार बोया गया गेहूं या धान का बीज पहले से ज्यादा पैदावार देता है। तीसरी बार भी उसकी पैदावार अच्छी रहती है।

.. तो सब्सिडी हो जाएगी खत्म

पंजीकृत किसान यदि हर साल सरकारी केंद्रों से नया बीज लेना चाहता है तो उसे सब्सिडी से हाथ धोना पड़ेगा। ऐसा नहीं है कि उसे केंद्रों से बीज नहीं मिलेगा। उसे बीज जरूर मिलेगा पर सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा। यदि एक कुंतल गेहूं का दाम त न हजार है तो उसे तीन हजार रुपये देकर ही गेहूं खरीदना होगा। उस पर मिलने वाली सब्सिडी 17 या 18 सौ नहीं मिलेगी। हालांकि केंद्र पर आने वाले किसानों को कर्मचारी वहां से दिए गए बीजों की पूरी जानकारी भी देंगे।

पुरानी पद्धति अपनानी होगी

डेढ़ दशक पूर्व ज्यादातर किसान एक ही बीज की आठ से दस बार बोआई करते थे। फर्क इतना था कि बोए गए गेहूं को वे हर साल खेत बदलकर बोते थे। मिट्टी बदलने से गेहूं का बीज स्वत: नया हो जाता है, ऐसा सब किसान जानते हैं। पर सरकार ने ही किसानों को हर साल नया बीज से अधिक उत्पादन पाने का सब्जबाग दिखाकर उन्हें नई लत दे दी। इस नई लत से पुराने बीजों का लोप होने लगा। ऐसे में सरकार भी पुरानी पद्धति के हिसाब से किसानों को बीज सहेजने के साथ-साथ उनकी स्थिति सुधारने का प्रयास कर ही है।

क्या कहते हैं अधिकारी

जिला कृषि अधिकारी कमलजीत ¨सह कहते हैं कि इस बार जिस किसान ने एक बार बीज लिया उसे तीन साल तक नया बीज नहीं मिलेगा। यदि वह बीज लेगा तो सब्सिडी नहीं मिलेगी। बताया किसानों को बीज लेने के साथ ही कर्मचारी पूरी तरह से जागरूक करेंगे। स्वयं बीज उत्पादन, रोगों से बचाव व अच्छी फसल के बारे में भी उन्हें जानकारी दी जाएगी।


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