भगवान को जानते सभी, भजते नहीं
चहनियां (चंदौली) : भगवान को जानते सभी है परंतु उनको भजते नहीं है। यहीं मूल अज्ञानता है। नारायण को
चहनियां (चंदौली) : भगवान को जानते सभी है परंतु उनको भजते नहीं है। यहीं मूल अज्ञानता है। नारायण को प्राप्त करने का मार्ग विभिन्न हो सकते हैं लेकिन मोक्ष मार्ग प्राप्त करने का लक्ष्य एक होना चाहिए। उक्त बातें क्षेत्र के प्रसादपुर गांव में चल रहे श्रीमछ्वागवत कथा ज्ञान के छठवें दिन सोमवार को भागवत कथा का रसपान कराते हुए जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वैंकटेश प्रपन्नाचार्य ने कही।
उन्होंने कहा कि जब प्रभु जिन्हें मानते हैं वह उन्हीं के कर संसार में निर्भिक होकर मस्ती में रहता है। मानव को लोभ, पाप, घृणा,तृष्णा, ईष्र्या का परित्याग कर कर्मयोगी बनना चाहिए। क्योंकि कर्मयोगी मानव ही भगवान का सच्चा उपासक है। उसे तप,ज्ञान,धर्म, सेवा का लाभ प्राप्त होता है और वहीं मोक्ष को प्राप्त करता है। हर मनुष्य अपने किए गए कर्मों का फल भोगता है। इसलिए हे मानव निष्ठुरता त्याग कर परोपकार और सत्य को अपनाकर कर्मयोगी बनो तभी कल्याण संभव है। स्वामी प्रपन्नचार्य जी ने श्रीमद्भागवत कथा के दौरान भगवान कृष्ण के बाल लीला का सचित्र वर्णन कर श्रोताओं को रस विभोर कर दिया।भगवान श्रीकृष्ण एवं अर्जुन के संवाद और उनके दिए गए उपदेशों को श्रोताओं के हृदय में उतारने एवं आत्मसात करने की सलाह दी। मथुरा में कंस के उत्तपाती चरित्र और भरत की माया का सविस्तार कथा श्रोताओं को सुनाकर भाव विभोर कर दिया। कथा मंच का संचालन पंडित वृजकिशोर पांडेय एवं संगीतमय भागवत कथा आचार्य पंडित राजू मिश्र ने किया। रस कथा की प्रधान भूमिका सक्रिय रूप से अमित पांडेय निभा रहे है। अंत में महाप्रसाद का वितरण शिवम पांडेय ने किया। इस अवसर पर श्रीप्रकाश पांडेय, अर¨वद पांडेय, मनोज यादव, प्रमोद पांडेय, चंद्रशेखर यादव, जितेंद्र यादव, मृत्युंजय, केशव आदि उपस्थित थे।