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पंपों की हड़ताल से वाहन चालक हुए परेशान

चंदौली : प्रदेश सरकार द्वारा वैट का पैसा तय कर देने के विरोध में मंगलवार को पेट्रोल पंप संचालकों ने

By Edited By: Published: Tue, 28 Jul 2015 09:48 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2015 09:48 PM (IST)
पंपों की हड़ताल से वाहन चालक हुए परेशान

चंदौली : प्रदेश सरकार द्वारा वैट का पैसा तय कर देने के विरोध में मंगलवार को पेट्रोल पंप संचालकों ने अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत हड़ताल कर दिया। हड़ताली पंप संचालकों ने चेतावनी दी की सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। दोपहर 12 बजे तक चली हड़ताल के चलते वाहन चालकों को भारी परेशानी उठानी पड़ी।

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मंगलवार की सुबह छह बजे से दोपहर 12 बजे तक हड़ताल का असर इतना ज्यादा रहा कि भारवाहक वाहन डीजल की कमी के चलते जहां के तहां खड़े हो गए। वहीं दो पहिया और चार पहिया वाहन चालक भी वाहनों में पेट्रोल व डीजल खत्म होने से तेल के लिए इधर-उधर भटकते रहे। वाहन चालक पेट्रोल पंपों तक आते जरूर पर हड़ताल का बोर्ड देखकर मायूस होकर दूसरे पंप की ओर दौड़ते पर वहां भी पंप बंद होने से उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ता।

कई स्थानों पर तो वाहन चालकों को अपना दूरदराज का कार्यक्रम भी रद करना पड़ा। पूरे प्रदेश में पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन की इस हड़ताल का व्यापक असर रहा। अन्य दिनों की अपेक्षा सुबह छह बजे से दोपहर 12 बजे तक हाइवे पर वाहनों की संख्या कम रही। इस दौरान यात्री वाहन भी सड़कों पर कम ही चले। पंप संचालकों ने चेतावनी दी है कि यह तो सांकेतिक हड़ताल है, उनकी मांगों पर विचार नहीं हुआ तो कभी भी अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो सकती है।

क्या हैं पंप संचालकों की मांगें

पेट्रोल पंप एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने कहा कि प्रदेश सरकार ने वैट पर पैसा तय कर दिया है। इससे पेट्रोल और डीजल पर अन्य प्रांतों की अपेक्षा दाम में भिन्नता आ गई है। अन्य प्रांतों में पेट्रोल और डीजल का दाम कम है और उत्तर प्रदेश में ज्यादा है। सरकार ने वैट पर पैसा तय करके राजस्व को काफी हानी पहुंचाई है। मात्र छह घंटे की हड़ताल में सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व का नुकसान हुआ है। दाम अधिक होने के कारण भला यूपी के पंपों पर कौन तेल भराने आएगा।

छुट भइए तेल बेचने वालों की चांदी

हर गांव, चट्टी चौराहों, यहां तक कि परचून की दुकान में रखकर पेट्रोल, डीजल बेचने वालों में हड़ताल के समय खूब चांदी रही। निर्धारित दाम से तीन से चालीस रुपये प्रति लीटर मुनाफा कमाकर लोगों ने पेट्रोल और डीजल बेचा। उनकी बिक्री इतनी ज्यादा थी कि मात्र छह घंटे की हड़ताल में किसी का एक ड्रम तो किसी का दो ड्रम डीजल-पेट्रोल बिक गया। मौजूदा समय कृषि कार्य का है, इसलिए परचून की दुकान वालों की तो चांदी रही। दुर्भाग्य यह रहा कि हड़ताल की घोषणा के बाद भी आपूर्ति विभाग कान में तेल डालकर बैठा रहा। उसने ऐसे फुटकरिए दुकानदारों के यहां छापेमारी तक नहीं की।


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