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पूर्वांचल के सबसे बड़े बांध मुसाखाड़ पर अंधेरा

चकिया (चंदौली): पूर्वांचल के सबसे बड़े बांधों में सुमार मुसाखाड़ बांध पर अंधेरा कायम है। दूधिया रोशनी

By Edited By: Published: Fri, 03 Jul 2015 11:38 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2015 11:38 PM (IST)
पूर्वांचल के सबसे बड़े बांध मुसाखाड़ पर अंधेरा

चकिया (चंदौली): पूर्वांचल के सबसे बड़े बांधों में सुमार मुसाखाड़ बांध पर अंधेरा कायम है। दूधिया रोशनी से बिखरने वाले बांध पर पिछले एक दशक से कूप अंधेरा छाया हुआ है। बांध के तटबंध पर लगे विद्युत पोल के तार व स्ट्रीट लाइट तक गायब हो गए है। इसके चलते नक्सल इलाके के इस बांध की सुरक्षा को लेकर कई सवालिया निशान खड़े हैं।

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मुसाखाड़ बांध निर्माण के साथ ही विद्युत रोशनी की व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी। 25 केवीए का विद्युत ट्रांसफार्मर लगाकर डाक बंगले से लगायत बांध के गेट तक दर्जन भर विद्युत पोल लगाये गये। बकायदा विद्युत तार खींचकर कर स्ट्रीट लाइट लगाई गई थी। बिजली नहीं रहने पर जनरेटर की व्यवस्था सुनिश्चित थी। रात के अंधेरे में समूचा बांध परिक्षेत्र दूधिया रोशनी से जगमगाता रहता था। चोर, उचक्के सहित असामाजिक तत्व भूल कर भी इस ओर नहीं आते थे। सूत्री की माने तो विद्युत विभाग का तकरीबन एक लाख रूपया बकाया होने के चलते 90 के दशक में विद्युत विच्छेद कर दिया गया। फिर क्या, समय चक्र के साथ ही ¨सचाई विभाग ने बकाया विद्युत कर जमा करने को कौन कहे जनरेटर सहित अन्य सुविधाएं भी समेटने लगा। मौका ताक कर चोर-उच्चके भी सक्रिय हो गये। बांध के तटबंध पर लगे विद्युत पोल के तार समेत अन्य उपकरण अगले कुछ ही वर्षों में गायब कर दिए गये।

बरसात में कर्मियों को होती है दिक्कत

मुसाखाड़ बांध पर अंधेरा कूप छाये रहने से चौकीदार भी सायं को बांध गेट की ओर जाना मुनासिब नहीं समझते। स्थिति को भांपते हुए चोर बांध गेट की सीढि़यों पर लगे पाइप व इंगल पर भी निशाना बना लिये हैं। सबसे विकट स्थिति भारी बरसात होने के दौरान होती है। बांध के लबालब हो जाने पर गेट को खोलने व बंद करने के साथ ही सूचनाओं के आदान प्रदान के दौरान कर्मियों को अंधेरा कूप छाये रहने से भारी जलालत होती है।

अब नहीं आते सैलानी

मुसाखाड़ बांध पर पिछले कुछ दशक पूर्व तक यहां सैलानी आते थे। यह स्थल सेफ जोन मानकर सैलानी देर शाम तक ठहरने के साथ ही घूमने फिरने व खाना पकाकर खाने खिलाने के लिए महफूज स्थान मानते थे। वहीं अब चोर उच्चकों व असामाजिक गतिविधियों के सक्रिय रहने से सैलानी बांध की ओर आना भी वे पसंद नहीं करते। ग्रामीणों का कहना है कि बांध पर अंधेरा कायम होने से सैलानियों के साथ ही हम सभी की आमदरफ्त बांध की ओर नहीं के बराबर है।

क्या कहते हैं अधिकारी

सहायक अभियंता (मुसाखाड़) एलबी ¨सह कहते हैं कि बांध पर विद्युत रोशनी की मुकम्मल व्यवस्था होनी चाहिए। बिजली विभाग के बकाया विद्युत कर व नये सिरे से विद्युत व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए शासन को पत्र भेजा गया है।


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