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व्यथा मिटाती है भागवत कथा

By Edited By: Published: Wed, 27 Aug 2014 11:16 PM (IST)Updated: Wed, 27 Aug 2014 11:16 PM (IST)

मुगलसराय(चंदौली): श्रीमद् भागवत जीवन की व्यथा मिटाती है। जो मनुष्य सारे पापों को समाप्त करना चाहता हो वह श्रीकृष्ण की शरण में आए। तभी उसका कल्याण होगा, क्योंकि शरीर का कायाकल्प तप से तथा मन का कायाकल्प परमात्मा के मिलन से होता है। जितनी जल्दी मनुष्य मिलन की यह यात्रा शुरू करेगा, उतना ही सुंदर उसका जीवन बनेगा।

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उक्त बातें परमार भवन में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिन बुधवार को जामनगर गुजरात से पधारे प्राण वल्लभ ने कहीं। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत जीवन में इरादे बदलने के लिए नहीं बल्कि जीने का तरीका बदलने के लिए सुना जाता है। मनुष्य के जीवन में शांति क्यों नहीं है, क्योंकि जितना समय सांसारिक कार्यो में मनुष्य देता है उतना ही वह क्रोध व लोभ के निकट पहुंचता है।

इस दौरान चंद्रकांत परमार, केशव परमार, नवीन परमार, नितेश परमार, राजेश परमार, हंशा परमार सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित थे।


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