अब बच्चों की 'समझदारी' का होगा इम्तिहान
मुगलसराय (चंदौली) : परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करना जरूरी है तभी उन्हें नियुक्ति मिलती है। वहीं अब बच्चों के समझदारी को आकने के लिए वार्षिक परीक्षा के अलावा एक अलग परीक्षा भी कराई जाएगी। यह परीक्षा बच्चों के समझ के मूल्यांकन के लिए होगा। मूल्यांकन में जो बच्चे कमजोर पाए जाएंगे उन्हें शिक्षक विशेष ध्यान देकर बौद्धिक रूप से समझदार बनाएंगे।
शासन द्वारा परिषदीय विद्यालयों की गुणवत्ता सुधारने के लिए यह नई व्यवस्था लागू की गई है। अब तक बच्चों को केवल वार्षिक परीक्षा पास करने के बाद अगली कक्षा में नामांकन हो जाता था लेकिन इस नई व्यवस्था के अनुसार अब बच्चों के बौद्धिक स्तर व सामान्य जानकारी का आकलन एक अलग परीक्षा के माध्यम से किया जाएगा। यह परीक्षा वार्षिक लिखित परीक्षा के साथ ही ली जानी है परंतु इसमें प्रश्न कक्षावार विषय के साथ साथ अलग से भी होंगे। कुछ मौखिक प्रश्न भी किए जाएंगे।
इस परीक्षा के उपरांत विद्यालय के समझदार व कम समझदार बच्चों की सूची बनाई जाएगी। यह सूची उच्चाधिकारियों को प्रेषित किया जाएगा। इस साल परिषदीय विद्यालयों में परीक्षा चल रही है। इस नई व्यवस्था की जानकारी ठीक से विद्यालयों के पास पहुंची नहीं है। वहीं उम्मीद की जा रही है कि अगल सत्र से इसका कड़ाई से पालन कराया जाएगा।
चलाई जाएगी अतिरिक्त कक्षाएं
समझदारी के मूल्यांकन में कमजोर बच्चों पर विद्यालय के शिक्षकगण फोकस करेंगे। इन बच्चों को बौद्धिक रूप से समझदार बनाने की जिम्मेदारी शिक्षकों की ही होगी। ऐसे बच्चों का सतत अवलोकन किया जाएगा। सामान्य बच्चों की छुट्टी के बाद भी ऐसे बच्चों के लिए अतिरिक्त कक्षाएं चलाई जाएंगी। समय-समय पर इस बात का भी मूल्यांकन किया जाएगा कि किन विषयों में बच्चा कमजोर है।
''शासन की इस नई व्यवस्था की जानकारी तो है, पर अभी सीधे-सीधे कोई निर्देश नहीं आया है। यह सर्वशिक्षा अभियान के तहत महत्वाकांक्षी प्रयास है। इसमें बच्चों के बौद्धिक स्तर का पता लगाने के बाद उन्हें प्रखर किया जा सकेगा। वैसे निर्देश मिलते ही परीक्षा के कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी।''
-फूलचंद यादव, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।