होली पर पुत्र की चाहत में टेकती हैं माथा
अनूपशहर, बुलंदशहर : 16वीं शताब्दी से पुत्र प्राप्ति की मनोकामना को लेकर नवविवाहिताएं स्वामी दीनदयाल
अनूपशहर, बुलंदशहर : 16वीं शताब्दी से पुत्र प्राप्ति की मनोकामना को लेकर नवविवाहिताएं स्वामी दीनदयाल की समाधि पर मत्था टेकने के लिए होली पर मंदिर में प्रसाद चढ़ाने आती है। मंदिर में नि:शुल्क मिलने वाले काले धागे व खसरे की दवा पिलाने का प्रचलन भी आधुनिकता के दौर में कम नहीं हो रहा है।
नगर के मोहल्ला मदारगेट स्थित स्वामी दीनदयाल बाबा का मंदिर 16वीं शताब्दी में बनाया गया था। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति पुत्र की कामना लेकर बाबा के दरबार में प्रसाद चढ़ाता है, उसकी मनोकामना पूर्ण होती है, इसके साथ ही अनेक प्रकार की भूत-प्रेत बाधाओं से बचाने व बच्चों के डरने आदि समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए मंदिर में काला धागा भी दिया जाता है, इसे गले में पहनने से समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
पिछले कुछ वर्षो से आर्य समाज के बैनर तले नि:शुल्क खसरे की दवा भी पिलायी जाती है, जिसके परिणाम स्वरूप नगर में खसरे का प्रकोप कम हो गया है।
पुरानी मान्यताओं के अनुसार स्वामी दीनदयाल बाबा का जन्म मथुरा के वैश्य परिवार में हुआ था, बचपन से ही अलौकिक शक्तियों के स्वामी रहने के कारण लोगों को परेशानियों से बचाने का काम करते रहे। बचपन में ही अनूपशहर आकर रहने लगे। उनकी दयालुता व चमत्कार के अनेक किस्से कहे जाते हैं। उन्हें बाबरे बाबा व मथुरामल के नाम से भी जाना जाता है। मथुरा, चन्दौसी, अलीगढ़, चचरई, सीताराम गली चांदनी चौक दिल्ली आदि स्थानों पर इनके मंदिर बने हुए हैं।
प्रति वर्ष होली के दिन सायं काल मंदिर परिसर में विशाल मेला लगता है, जिसमें नगर व ग्रामीण क्षेत्र से हजारों भक्त बाबा की समाधि पर मत्था टेककर मनौती मांगते हैं। नगर की नवविवाहिताओं को लेकर सास, ननद, जेठानी आदि पुत्र प्राप्ति की कामना को लेकर मनौती मांगती हैं। इस मंदिर को पूजा-अर्चना के लिए रविवार को ही खोला जाता है। मंदिर में मिलने वाले धागे की मांग भी काफी रहती है। मंदिर के बाहर अनेक संगठनों द्वारा होली मिलन समारोह शिविर लगाये जाते हैं।