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आधी आबादी की मुट्ठी में आसमान भरने निकली रोशनी

अभिषेक शर्मा, नरौरा, बुलंदशहर : दिल में हौसला और मन में कुछ कर दिखाने की तमन्ना लेकर नरौरा की रोशनी

By Edited By: Published: Wed, 01 Oct 2014 11:55 PM (IST)Updated: Wed, 01 Oct 2014 11:55 PM (IST)
आधी आबादी की मुट्ठी में आसमान भरने निकली रोशनी

अभिषेक शर्मा, नरौरा, बुलंदशहर : दिल में हौसला और मन में कुछ कर दिखाने की तमन्ना लेकर नरौरा की रोशनी पाठक अपनी जमात की तमाम युवतियों-महिलाओं की मुट्ठी में आसमान भरने निकली हैं। कन्याकुमारी से लेह तक उसने मात्र 10 दिनों में 4100 किलोमीटर का दुर्गम सफर बुलट से तय किया। इस सफर के साथ-साथ महिलाओं की आजादी और सुरक्षा का संदेश भी फैलाया। लिम्का बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकार्ड के लिए दावा मजबूत हो गया है।

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नरौरा के आटोमोबाइल विक्रेता एलएन पाठक की 26 वर्षीय पुत्री रोशनी पाठक बेंगलुरु में पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। विगत 28 जून को महिलाओं की आजादी एवं सुरक्षा के लिए संदेश देने निकली रोशनी ने सभी बाधाओं को दूर करते हुए मात्र दस दिनों में 4100 किलोमीटर का कन्याकुमारी से लेह तक का दुर्गम सफर तय किया। रोशनी की यह यात्रा 11 राज्यों से होकर निकली। रोशनी भारतीय महिलाओं के लिए एक आदर्श बन के उभरी है। सात जुलाई 2014 को लेह पहुंची रोशनी ने अपने इस दुर्गम सफर के बारे में बताते हुए कहा कि बाइकिंग उनका फैशन है। इससे पहले भी उन्होंने बेंगलुरु से पुणे का 850 किलोमीटर का सफर अपनी बाइक पर सवार होकर 16 घंटों एवं चेन्नई से बेंगलुरु तक 700 किलोमीटर मात्र 12 घंटों में पूरा किया। रोशनी ने बताया कि वह 16 वर्ष की उम्र से बाइक चला रही हैं। इसके लिए परिवार वालों ने भी उनकी हौसलाअफजाई की। 28 जून को कन्याकुमारी से अभियान चालू किया। देश के सबसे खतरनाक उच्च मार्ग 21 पर मनाली से होकर रोहतांग पास, सरचू, पांग, उपशी होकर कई ग्लेशियरों को पार करते हुए लेह पहुंची।

रोशनी ने दावा किया है कि वह देश की पहली महिला हैं, जिसने 10 दिनों में 4100 किलोमीटर का सफर बाइक से तय किया है। अब यह देखना है कि लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में उसका नाम दर्ज होता है या नही। रोशनी ने बताया कि उन्होंने यह अभियान अपने खर्चे पर चलाया है। इस अभियान में लगभग एक लाख बीस हजार का खर्चा हो चुका है। उन्होने बताया कि 11 राज्यों में कहीं भी कोई बुरी घटना का सामना नहीं करना पड़ा। रोशनी ने बताया कि सफर के दौरान उन्होंने हमेशा हेलमेट का प्रयोग किया तथा सभी को हेलमेट प्रयोग करने की सलाह दी।

रोशनी ने देश की महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि महिला होने के बावजूद भी उन्हें कोई परेशानी हुई। अब महिलाएं जागरूक हों और अपनी सुरक्षा एवं आजादी के लिए लड़ाई लड़े। देश की उन महिलाओं तक यह संदेश पहुंचाना चाहती हैं जो आज भी चारदीवारी में बंद रहती हैं। बहुत कुछ चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पाती हैं। उन्होंने कहा कि मेरी यह यात्रा उन महिलाओं के लिए प्रेरणा होगी, जो अपनी लाइफ में कुछ हटकर करना चाहती हैं। रोशनी ने बताया कि पूरा सफर उन्होंने अकेले ही तय किया।


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