सफाई कर्मचारियों की मनमानी के कारण बेमतलब के हैं शौचालय
बुलंदशहर : ग्रामीण क्षेत्र के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शौचालयों की स्थिति बहुत खराब है। कहीं गंदगी से शौचालय अटे हुए हैं तो कहीं शौचालयों में ताले लगे हुए हैं। छात्राओं को शौच के लिए खेतों में जाने को मजबूर होना पड़ता है। शौचालयों की साफ-सफाई को लेकर बीएसए ने डीपीआरओ को पत्र लिखा और उनके स्तर से कार्रवाई भी की गई है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
जनपद में लगभग 2,400 प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। लगभग ग्रामीण क्षेत्रों के सभी विद्यालयों में शौचालय बने हुए हैं। जनपद में इन शौचालयों की स्थिति इतनी खराब है कि यहां शौच के लिए छात्राएं जा ही नहीं सकती हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालय नित्यानंदपुर नगलिया में शौचालय पर ताला लटका हुआ है। प्रधानाध्यापक रामपाल ने बताया कि मेरी पोस्टिंग से पहले ही यहां पर ताला लगा हुआ है। इसकी चाबी किसके पास इसकी भी कोई जानकारी नहीं है। प्राथमिक विद्यालय नित्यानंदपुर नगलिया के शौचालय में बड़ी-बड़ी घास खड़ी हुई है। उच्च प्राथमिक विद्यालय अमरगढ़ में दो शौचालय बने हुए हैं, इसमें से एक पर ताला लगा हुआ है दूसरे में कूड़ा- करकट भरा हुआ है। प्राथमिक विद्यालय अमरगढ़ में शौचालय टूटा पड़ा है, चारो तरफ गंदगी पड़ी है। प्रधानाध्यापक श्रीचंद्र राणा ने बताया कि स्कूल में चारदीवारी तक नहीं है। छात्र-छात्राओं को खेत में ही शौच के लिए जाना पड़ता है। प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय रमपुरा एवं नयागांव की स्थिति ठीक थी।
कर्मचारियों की मनमानी
से बंद हैं शौचालय
जनपद के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अधिकतर शौचालय सफाई कर्मचारियों की मनमानी के कारण बंद पड़े हुए हैं। जनपद के 95 प्रतिशत स्कूलों में सफाई कर्मचारी सफाई करने के लिए स्कूलों में पहुंचते ही नहीं है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा कई बार डीएम से शिकायत भी की गई है। डीएम ने डीपीआरओ को निर्देश भी दिए हैं। कई कर्मचारियों पर कार्रवाई भी हुई है, इसके बावजूद भी सफाई कर्मचारी सुधरने को तैयार नहीं है। सफाई के लिए वे महीने में एक दो दिन भी नहीं जाते हैं। अधिकतर विद्यालयों में बच्चे और कई स्कूलों में तो शिक्षक ही सफाई कर देते हैं।
कैसे हो समस्या का समाधान?
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय में सफाई कर्मचारी तैनात हैं। अगर सफाई कर्मचारी नियमित सफाई करें तो ऐसी समस्या नहीं होगी। इसके लिए अधिकारियों को सख्ती बरतनी होगी।
-इन्होंने कहा
जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में एक भी विद्यालय ऐसा नहीं है, जहां शौचालय न बने हों। समस्या यही है कि सफाई कर्मचारी विद्यालयों में साफ-सफाई के लिए नहीं जाते हैं, गंदगी और बड़ी घास होने के कारण यह शौचालय बंद हो जाते हैं। डीपीआरओ को पत्र लिखा गया है उनके स्तर से कार्रवाई भी हुई है। ऐसे कर्मचारियों के प्रति कार्रवाई जारी रहेगी और बंद पड़े शौचालयों को चालू कराया जाएगा।